नईदिल्ली: म्यांमार की नाफ नदी के किनारे पड़े 16 महीने के एक बच्चे मो. शोहयात की कीचड़ में सने शव की एक तस्वीर एक बार फिर से सीरियाई शरणार्थी अलयान कुर्दी की यादें ताजा कर रही है। रोहिंग्या समुदाय से संबंध रखने वाले इस बच्चे के माता-पिता म्यांमार में हो रही हिंसा से बचने के लिए बंग्लादेश भाग गए हैं। शोहयात के पिता जफर आलम ने कहा है कि जब मैं यह फोटो देखता है तो मर जाने को दिल करता है।
पिता ने कहा, सरकार को नहीं दें और वक्त
शोहयात के पिता ने अपील की है कि मैं दुनिया को यह बात बताना चाहता हूं। म्यांमार की सरकार को और वक्त नहीं दिया जाना चाहिए। अगर आप कार्रवाई करने में देर करेंगे, तो वे सभी रोहिंग्या लोगों को मार डालेंगे।
बांग्लादेश में शरण लेने की मजबूरी
गौरतलब हो कि बौद्ध धर्म की बहुलता वाले म्यांमार में लंबे समय से रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ जातीय हिंसा भड़की हुई है। जिसके चलते अब तक हजारों कीतदात में रोहिंग्या परिवार बांग्लादेश में शरण लेने को मजबूर हुए हैं और कई सौ लोग मारे जा चुके हैं। वहीं म्यांमार सरकार भी रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यांमार का मूल निवासी मानने से इनकार कर चुकी है। वह उन्हें अवैध बंग्लादेशी मानती है।
तट पर मिला था अयलान का शव
इससे पहले 2015 मेें 3 साल की सीरियाई शरणार्थी अयलान कुर्दी की एक फोटो वायरल हुआ था। भूमध्यसागर के किनारे पड़े शव की फोटो ने बड़े पैमाने पर सीरिया संकट पर खींचा था। असर यह हुआ कि कई यूरोपीय देशों ने सीरियाई शरणार्थियों को शरण देने के लिए अपनी सीमाएं खोल दी।
Bureau Report
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