नईदिल्ली: नोटबंदी के बाद से देश में सहकारी बैंकों के कामकाज पर आयकर विभाग ने एकबार फिर सवाल उठाए हैं। विभाग के मुताबिक, नोटबंदी के दौरान सहकारी बैंकों ने कालेधन को सफेद करने में एक अवसर के तौर पर इस्तमाल किया है।
गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने एक फैसले के तहत 500 और 1,000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। जिसके बाद आयकर विभाग के एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में नोटबंदी के बाद ये बैंक कालेधन धन को खपाने और उसे ठिकाने लगाने के काम में लगे हुए थे। साथ ही कहा कि इस तरह के गौरकानूनी काम को करने में कई तरह से साठगांठ भी दिखने को मिला है। जहां इन जैसे बैंकों ने बड़ी मात्रा में काले रुपए को सफेद करने चलाकी से गैरकानूनी रास्ता अपनाया।
यहां जयपुर के एक सहकारी बैंक में डेढ़ करोड़ रुपए बैंक के जांच कमरे की अलमारी में मिले। साथ ही आयकर विभाग ने कई शहरों में बिना आवंटन और बेनामी लॉकरों से काफी बड़े स्तर पर नगदी भी बरामद किए। जिसमें सोलापुर, सूरत (गुजरात), पंधारपुर (महाराष्ट्र), और राजस्थान के जयपुर के बैंकों के नाम शामिल है। साथ ही विभाग ने जांच में पाया कि ऐसे एक मामले में एक छोटे से कस्बे अलवर में बैंक के अधिकारियों ने 90 संदिग्ध पहचान वाले लोगों के नाम पर लोन देकर 8 करोड़ रुपए का चूना लगाया।
साथ ही बताया कि बैंक के प्रबंधन ने किस तरह से 2 करोड़ रुपए के बिना हिसाब वाले धन को सफेद करने के लिए इसका इस्तेमाल किया।
Bureau Report
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