नईदिल्ली: अटल बिहारी वाजपेयी ने 2 दर्जन से अधिक धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों को जमीनें आवंटित कराई थीं। जिसमें ज्यादातर संघ से जुड़े संगठन शामिल थे। जिसको यूपीए 1 की सरकार ने रद्द कर दिया था। अब इसके बाद मोदी सरकार ने इन संस्थानों को दी गई जमीन को बहाल करने का फैसला किया है।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने एक अखबार से बात करते हुए बताया कि जैसे ही हमारी सरकार आई, उन संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल हमसे आकर मिला जिनकी जमीनें रद्द हो गई थी। जो कि साल 2000-01 के दौरान सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं को दी गई थी। जिसके बाद जांच पड़ताल के बाद हमने पाया कि इन जमीनों के आवंटन में गड़बड़ी नहीं हुई थी। जिसके बाद उस फैसले को बगैर किसी भेदभाव के रद्द कर जमीनें वापस करने का फैसला लिया गाया। जिसके अन्य फैसलों के साथ मीडिया बताया जाएगा।
TOI के खबर के मुताबिक, नायडू ने कहा कि इस मामले को उन्होंने कैबिनेट में उठाया, जिसके बाद कुछ को छोड़कर बाकी सभी को जमीन आवंटित कर दी गई। जहां यूपीए सरकार ने यह कहते हुए 29 संस्थाओं का जमीन आवंटन रद्द कर दिया था कि प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ियां हैं। जिसके बाद 23 संगठनों ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। अब सरकार के लिए यह जरुरी है कि वह अदालत को 10 साल पुराना फैसला बदले जाने के बारे में सूचना दे। यूपीए सरकार ने इस मामले की जांच रिटायर्ड आईएएस अफसर योगेंद्र चंद्रा को सौंपी थी, जिन्होंने करीब 100 मामलों की जांच की थी।
गौरतलब हो कि इससे पहले साल 2015 में खबर आई थी कि मोदी सरकार यूपीए सरकार के इस फैसले पर पुनर्विचार करने की सोच रही है। सूत्रों के मुताबिक, नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले से जिन संगठनों को जमीनें वापस मिलने वाली हैं उनमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मृति न्यास, विश्व संवाद केंद्र, धर्म यात्रा महासंघ और वनवासी कल्याण परिषद प्रमुख हैं।
Bureau Report
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