नईदिल्ली: ट्रेन चलाने वाले लोको पायलट यात्रियों की जिंदगी जोखिम में डाल रहे हैं। यह खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि पांच वर्ष में अल्कोहल टेस्ट के दौरान विफल रहने वाले लोको पायलट की संख्या में करीब 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। लोको पायलट ऑन ड्यूटी के समय नशे में मिले हैं। 2015-16 में भारत के कुल 70 रेलवे डिविजनों में से 50 डिविजनों में शराब पीकर ट्रेन चलाने में 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
ट्रेन दुर्घटनाओं के साथ इस मामले को जोडऩे के लिए कोई ठोस सबूत तो नहीं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि लोको पायलटों के बीच बढ़ती शराब की स्थिति चिंता का कारण जरूर है।
रिपोर्ट के मुतबिक, रेलवे हर रोज 15000 ऑपरेशन चलाती है, लेकिन हर मामले में वो फेल साबित होती है। रेलवे में हर लोको पायलट को अल्कोहल परीक्षण से गुजरना होता है। उसके बाद ही वे हाजिरी लगा पाते हैं। हर कोई लोको पायलट परीक्षण में शामिल होने से इनकार करता है तो उसे सेवा से अलग होना पड़ता है। अधिकांश मामलों में ड्राइवरों को अस्थायी रूप से सेवा से हटाया जाता है।
गर्मी से राहत के लिए करते हैं सेवन!
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेनों में लोको पायलट गर्मी के दिनों में राहत के लिए शराब का सेवन कर लेते हैं। गर्मी के दिनों में इंजन में 50 डिग्री से ऊपर तापमान चला जाता है। रिपोर्ट इस ओर भी इशारा करती है कि ट्रेनों में लोको पायलटों के लिए एसी वाला केबिन नहीं है। जिस वजह से उन्हें मजबूरन शराब का सहारा लेना पड़ता है। रिपोर्ट में खुलासा यह भी हुआ है कि रेलवे लोको पायलटों की कमी से जूझ रही है। अभी रेलवे में 40 प्रतिशत पद खाली है। दिल्ली डिविजन में लोको पायलटों की संख्या 203 है, लेकिन फिर भी 40 प्रतिशत पद खाली हैं।
Bureau Report
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