तीन तलाक पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, पर्सनल लॉ के नाम पर किसी के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता

तीन तलाक पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, पर्सनल लॉ के नाम पर किसी के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकताइलाहाबाद: तीन तलाक को लेकर पूरे देश में बहस जारी है। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन तलाक और फतवे को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। मंगलवार को तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पर्सनल लॉ के नाम पर मुस्लिम महिलाओं सहित किसी के अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ इस मामले पर सुनवाई करने वाली है।  

अदालत ने कहा कि लिंग के आधार पर भी कोई किसी के मूल और मानवाधिकारों का हनन नहीं कर सकता है। साथ ही कहा कि अगर किसी समाज में महिलाओं का सम्मान नहीं किया जाता है तो वह समाज सभ्य भी नहीं हो सकता है। कोर्ट का कहना कि मुस्लिम पति ऐसे तरीके से तलाक नहीं दे सकता जिससे समानता और जीवन के मूल अधिकार का हनन हो। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई को दौरान कहा कि संविधान के दायरे में पर्सनल लॉ लागू हो सकता है। साथ ही ऐसा कोई फतवा मान्य नहीं हो सकता है, जो किसी किसी के अधिकारों और न्याय व्यवस्था के विपरीत हो। 

गौरतलब है कि तीन तलाक से पीड़ित वाराणसी की सुमालिया ने पति अकील जमील के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था। जहां उसके पति अकील जमील तलाक के बाद दर्ज इस मुकदमे को रद्द करने की मांग की थी। वहीं इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस एस पी केशरवानी की एकल पीठ ने दहेज उत्पीड़न के दर्ज मुकदमे को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी।

Bureau Report 

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*