रूसी वैज्ञानिकों ने बनाया बम, भारतीय सेना के विशेषज्ञ गुणवत्ता को परखेंगे, बालासोर रेंज में किया जाएगा परीक्षण

रूसी वैज्ञानिकों ने बनाया बम, भारतीय सेना के विशेषज्ञ गुणवत्ता को परखेंगे, बालासोर रेंज में किया जाएगा परीक्षणजबलपुर: ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया (ओएफके) ने मैंगो प्रोजेक्ट के तहत 125 एमएम एंटी टैंक एमुनेशन तैयार कर लिए हैं। इस काम को रूस के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया है। एक दर्जन से ज्यादा राउंड तैयार करने के बाद अब भारतीय सेना के विशेषज्ञ इनकी गुणवत्ता को परखेंगे। ओडिशा के बालासोर रेंज में इनका परीक्षण किया जाएगा। यदि बम परीक्षण में खरे उतरे तो फिर फैक्ट्री में इनका बल्क प्रोडक्शन शुरू कर दिया जाएगा।

पहले इजराइली वर्जन बनता था: रूसी सहयोग से शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट से ओएफके को इस वित्तीय वर्ष में 600 करोड़ रुपए से ज्यादा का अतिरिक्त वर्कलोड मिला है। मार्च के अंत में यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ। पहले यहां पर इजराइल वर्जन का 125 एमएम एफएसएपीडीएस बम बनता था। गत वर्ष भी इसका उत्पादन किया गया, लेकिन अब इस बम के रूसी वर्जन का उत्पादन किया जा रहा है। 

रूस से आई सामग्री: फैक्ट्री में अभी इस बम का सेमी नॉक्ड डाउन रूप में उत्पादन किया जा रहा है। इसकी रेडीमेड सामग्री रूस से मिली है। अब केवल इसे असेम्बल किया जा रहा है। जल्द बम का कम्पलीट नॉक्ड डाउन यानि पूर्ण रूप में उत्पादन किया जाएगा। बम में बारूद भरने के अलावा सारा काम यहीं होगा।

सैन्य ताकत बढ़ेगी: यह बम भारतीय सेना के लिए अहम है। आधुनिक टैंक को उड़ाने में यह कारगर होता है। टी-90 और टी-72 जैसे आधुनिक टैंकों से दागे जाने वाले इस बम का प्रोजेक्ट चार साल पहले शुरू हुआ था। उत्पादन वर्ष 2016 से शुरू हुआ। इस साल करीब 12 हजार बम तैयार कर सेना को देने हैं।

125 एमएम टैंक एमुनेशन के राउंड को सफलतापूर्वक तैयार कर लिया गया है। बालासोर में इनका परीक्षण किया जाना है। परीक्षण के बाद नियमित उत्पादन शुरू करने की योजना है। एके ठाकुर, अपर महाप्रबंधक ओएफके 

Bureau Report

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