सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को अदालत की अवमानना का दोषी माना, 10 जुलाई को पेश होने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को अदालत की अवमानना का दोषी माना, 10 जुलाई को पेश होने का आदेशनईदिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को बैंकों के संघ की याचिका पर अवमानना का दोषी करार दिया। माल्या पर संघ में शामिल 13 बैंकों का ऋण बकाया है। 

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की सदस्यता वाली पीठ ने माल्या को मामले की अगली सुनवाई के दिन यानी 10 जुलाई को अपना पक्ष रखने का मौका दिया है। 

अदालत का आदेश स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 13 बैंकों के संघ की याचिका पर आया है, जिन्होंने माल्या को दिया 6,000 करोड़ रुपये का ऋण लौटाए जाने की मांग की है।

ब्रिटेन ने दी सहमति, माल्या का प्रत्यर्पण जल्द!

लंदन से विजय माल्या को भारत लाने की कोशिश में जुटे केन्द्र को बड़ी कामयाबी मिल सकती है। कारोबारी माल्या के प्रत्यर्पण के लिए लंदन गई सीबीआई और ईडी की टीम ने सोमवार को भारत लौटने पर इस बात के संकेत आला अधिकारियों को दिए हैं। सूत्र बताते हैं कि सीबीआई और ईडी के साथ बैठकों के बाद ब्रिटिश अफसरों ने इस बात पर सहमति जताई है कि लंदन में रह रहे माल्या को इंडिया-यूके म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी पर अमल कर भारत को सुपुर्द किया जा सकता है। 

कोर्ट ने मंजूर कर ली थी अपील

ईडी ने माल्या के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस की सुनवाई कर रहे कोर्ट में इंडिया-यूके ट्रीटी के तहत ऑर्डर जारी करने की अपील की थी जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था। बाद में गृह मंत्रालय को भेजा गया था। विदेश मंत्रालय ने भी आपराधिक मामले में सीबीआई जांच के आधार पर यूके से माल्या के प्रत्यर्पण के लिए पत्र लिखा था। सीबीआई और ईडी ने म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी को आधार बना माल्या के खिलाफ दस्तावेज सौंपे हैं। 

9 हजार करोड़ लोन नहीं चुकाया था

गौरतलब है कि माल्या विभिन्न बैकों का लगभग 9 हजार करोड़ लोन चुकाए बिना पिछले साल लंदन भाग गया था। माल्या के लंदन भागने के बाद मोदी सरकार की किरकिरी हुई थी और विपक्ष ने मोदी सरकार पर माल्या से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए माल्या को भगाने में सहयोग करने का आरोप लगाया था। आरोप है कि माल्या ने इन पैसों से विदेशों में प्रॉपर्टी खरीदी है।

म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी में ये हैं प्रावधान

भारत और ब्रिटेन के बीच 1992 में म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी पर हस्ताक्षर हुए थे। इस संधि के अनुसार भारत और ब्रिटेन दोनों देशों के बीच आपराधिक मामलों में आरोपी शख्स का प्रत्यर्पण किया जा सकता है। दोनों देशों के बीच हुई संधि में सबूत देने और जांच में सहयोग करने के मकसद से आरोपित की कस्टडी भी शामिल है।

Bureau Report 

 

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