करगिल युद्घ नवाज बढ़ा रहे थे दोस्ती की पींगें आैर मुशर्रफ ने घोप दिया भारत के सीने में छुरा

करगिल युद्घ नवाज बढ़ा रहे थे दोस्ती की पींगें आैर मुशर्रफ ने घोप दिया भारत के सीने में छुरानर्इदिल्ली। करगिल का युद्घ भारतीय सेना के अद्भुत शौर्य की कहानी बयान करता है। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारतीय जवानों ने अपने साहस आैर कभी न हार मानने की इच्छाशक्ति के बल पर जो कर दिखाया दुनिया में उसकी मिसाल मिलना बहुत मुश्किल है। 26 जुलार्इ को हर साल हम करगिल विजय दिवस की वर्षगांठ मनाते हैं। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों को याद करने के साथ ही ये दिन हमें गर्व से भर देता है। इस एेतिहासिक दिन के बारे में एेसी बहुत सी बातें हैं जिनके बारे में हर हिंदुस्तानी को पता होना चाहिए। एेसी ही कुछ बातों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आपका सिर देश के जवानों आैर भारतीय सेना के लिए श्रद्घा से झुक जाएगा।

कब लड़ी गर्इ ये लड़ार्इ?

करगिल युद्घ मर्इ 1999 में उस वक्त शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सेना आैर आतंकवादियों ने एलआेसी पर जम्मू कश्मीर के करगिल जिले में घुसपैठ की। करगिल जिला जम्मू कश्मीर के लद्दाख को उत्तरी क्षेत्रों से अलग करता है। करगिल में घुसपैठ की खबर मिलने के बाद ही आॅपरेशन विजय लाॅन्च किया गया आैर भारतीय सेना दुश्मनों को अपने क्षेत्र से निकालने के लिए माेर्चा संभाल लिया।

हमले के पीछे था ये मास्टरमाइंड

पाकिस्तानी के पूर्व राष्ट्रपति आैर तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ इस घुसपैठ के पीछे थे। कहा जाता है कि परवेज मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को विश्वास में लिए बिना हमले की योजना तैयार की थी। मुशर्रफ ने ये प्लान उस वक्त तैयार किया जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बुलावे पर लाहौर गए। इस दौरान दोनों नेताआें ने लाहाैर घोषणा पर हस्ताक्षर किए। इसे भारत आैर पाकिस्तान के बीच नर्इ दोस्ती की शुरुआत माना गया। हालांकि बाद में मुशर्रफ ने जो किया उसे भारत की पीठ पर छुरा भोंकने के तौर पर याद किया जाता है।

आैर बज उठा युद्घ का नंगाड़ा

घुसपैठ की सूचना के बाद भारतीय सेना ने अपनी जमीन को दुश्मनों के नापाक कदमों से मुक्त कराने के लिए आॅपरेशन शुरू किया। 18000 फीट की ऊंचाई, दुर्गम क्षेत्र आैर उस पर बहुत कम तापमान पर लड़ी गर्इ ये लड़ार्इ जैसे भारतीय सैनिकों की परीक्षा ले रही थी। जब लड़ार्इ शुरू हुर्इ तब पाकिस्तानी घुसपैठियों की स्थिति बेहतर थी। वे ऊंचाई पर थे। सैन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि घुसपैठिए इतनी अच्छी स्थिति में थे कि भारतीय सैनिकों को आसानी से निशाना बना सकते थे। इस युद्घ के लिए भारत ने पांच इन्फेंट्री डिविजन, पांच स्वतंत्र ब्रिगेड आैर पैरामिलिट्री फोर्सेज की 44 बटालियंस को तैनात किया। इसके साथ ही 60 लड़ाकू विमानों को अग्रिम मोर्चों पर हर वक्त तैयार रहने के आदेश दिए गए।

भारतीय वायुसेना भी कूद पड़ी

24 मर्इ 1999 को भारतीय वायुसेना भी करगिल युद्घ में दुश्मनों पर कहर बनकर टूट पड़ी। हालांकि भारतीय लड़ाकू विमानों को ये साफ निर्देश दिए गए थे कि वे एलआेसी को किसी भी कीमत पर पार नहीं करें। इसके बाद वायुसेना ने दुश्मनों को निशाना बनाते हुए बमबारी की। करीब साठ दिनों तक चले इस युद्घ का केन्द्र बिन्दू द्रास-कारगिल क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी टाइगर हिल थी। भारतीय सेना के जवानों ने अद्भुत शौर्य का परिचय देते हुए टाइगर हिल को अपने कब्जे में लिया आैर पाकिस्तानी सेना को पीठ दिखाने पर मजबूर कर दिया। भारतीय जवानों के आगे पाकिस्तानी सैनिक आैर घुसपैठिए टिक नहीं सके आैर भाग खड़े हुए।

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