खत्म नहीं हुई मुलाकात की संभावना, ब्रिक्स देशों की बैठक में मिल सकते हैं जिनपिंग-मोदी

खत्म नहीं हुई मुलाकात की संभावना, ब्रिक्स देशों की बैठक में मिल सकते हैं जिनपिंग-मोदीजी-20 शिखर सम्मेलन के लिए जर्मनी के हैम्बर्ग में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की तमाम संभावनाएं मौजूद हैं। चीन का विदेश विभाग भले ही इस खारिज कर रहा हो और भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भले ही ऐसी किसी द्विपक्षीय मुलाकात का कार्यक्रम तय न होने की बात कह रहे हों, लेकिन चीन और भारत के शिखर नेताओं के बीच मुलाकात और आपसी हित के विषयों पर संक्षिप्त चर्चा संभव है। पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर का भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और शी जिनपिंग जर्मनी में भेंट कर सकते हैं।

जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक भी प्रस्तावित है। भारत, रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के सदस्य देश हैं। ब्रिक्स बैठक न होने अथवा इसके रद्द होने का कोई संदेश नहीं आया है। ऐसे में 7 जुलाई को ब्रिक्स सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष एक स्थान पर, एक समय में, एक ही छत के नीचे और एक हॉल या बंद कमरे में होंगे।

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग मिल सकते हैं तथा दोनों देशों के बीच उपजे ताजा हालात पर चर्चा हो सकती है। पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर का कहना है कि जी-20 की बैठक के दौरान राष्ट्राध्यक्षों के पास एक दूसरे से मिलने के लिए पर्याप्त अवसर होता है। इसलिए सलमान हैदर को उम्मीद है कि जर्मनी में शी जिनपिंग और मोदी की भेंट होगी तथा दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर पैदा हुए तनावपूर्ण मसले का हल निकलेगा।

चीन की धमकी बनाम भारत का संयम

चीन दोकलम में सड़क निर्माण करना चाहता है, ताकि भारत की सीमा तक उसकी सीधी पहुंच हो सके। यह भूटान का क्षेत्र है और भारत भूटान की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाता आ रहा है। लिबाजा भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को सड़क निर्माण से रोक रखा है।

पिछले साल भी चीन के सैनिक बिना निर्माण का साजो-सामान लिए इसी मंशा से आए थे। तब भी उन्हें रोका गया था। चीन आक्रामक मुद्रा अपनाते हुए भारत को परिणाम भुगतने, युद्ध के लिए तैयार रहने, 1962 को न भूलने जैसी धमकियां दे रहा है। इसके जवाब भारतीय सेना संयम के साथ राइफल को जमीन की तरफ करके(सैनिक का असैन्य तरीका) चीन की सेना का रास्ता रोके हैं। दोनों तरफ से सीमा पर सैनिकों की तैनाती भी सामान्य से ज्यादा है।

भारत और चीन के बीच में काफी समय से रूस महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। ब्रिक्स फोरम भी रूस की तरफ से आरंभ की गई पहल है। भारत और चीन के बीच किसी बड़े गतिरोध की स्थिति में रूस की सलाह दोनों के लिए महत्वपूर्ण होती रही है। एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर भी रूस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का प्रयास किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि जी-20 से इतर होने वाली ब्रिक्स देशों के शिखर नेताओं की बैठक में भारत-चीन के बीच पैदा हुए ताजा हालात का भी असर दिखाई दे।

क्या कहा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जी-20 से जुड़े कार्यक्रम में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। वह जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिे 6-8 जुलाई तक जर्मनी के हैम्बर्ग में होंगे। इस दौरान बैठक से इतर प्रधानमंत्री का अर्जेंटीना, कनाडा, इटली, जापान, मैक्सिको,दक्षिण कोरिया, यूके और विएतनाम के शिखर नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता का कार्यक्रम पहले से तय है। प्रधानमंत्री ब्रिक्स सदस्य देशों के शिखरनेताओं की बैठक में भी हिस्सा लेंगे।

चीन ने फैलाया भ्रम
सिक्किम में भारत-चीन के बीच लंबे समय से विवाद और तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि जी-20 में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच यदि भेंट हुई तो समस्या का जल्द समाधान निकल सकता है। गुरुवार 6 जुलाई  को चीन ने इस तरह की भेंट-मुलाकात की संभावना को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उपयुक्त माहौल नहीं है।

ऐसा कहकर चीन जताना चाह रहा है कि तनावपूर्ण वातावरण के बीच भारत के प्रधानमंत्री चीन के राष्ट्रपति से मिलने के इच्छुक हैं और इस पर चीन कोई भाव नहीं दे रहा है। जबकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता कार्यक्रम के प्रस्ताव को लेकर कुछ नहीं कहा है। यानी पहले से दोनों नेताओं में भेंट-मुलाकात का कोई कार्यक्रम तय ही नहीं है।

 

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