नईदिल्ली: जम्मू कश्मीर में आतंकवादी बुरहान वानी मुठभेड़ कांड का एक साल पूरा होने पर विरोध प्रदर्शनों की आशंका के मद्देनजर घाटी में तैनात सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ा दी गयी है. केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में कानून व्यवस्था की संभावित चुनौतियों से निपटने खासकर अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर अर्धसैनिक बल के 21 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किये हैं.
केन्द्रीय बलों की 214 कंपनियां भेजी गई
कश्मीर घाटी में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की पिछले साल आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मौत के बाद आतंकी हिंसा से प्रभावित इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी हैं. इस मुठभेड़ के एक साल पूरा होने पर संभावित प्रदर्शनों से सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था की चुनौतियों का गृह मंत्रालय ने आकलन कर हालात से निपटने की तैयारी कर ली है. केन्द्रीय गृह सचिव राजीव महर्ष ने आज बताया कि हम कश्मीर में हालात को नियंत्रण में रखने के लिये पूरी तरह से तैयार है. इसके लिये केन्द्रीय बलों की 214 कंपनियां भेज कर दी हैं. जिससे आठ जुलाई और फिर अमरनाथ यात्रा के दौरान शांति एवं कानून व्यवस्था बहाल रखी जा सके. उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों की यह संख्या राज्य पुलिस बल से अतिरिक्त है. अर्धसैनिक बल की एक कंपनी में 100 जवान होते है.
घाटी में अशांति की आशंका के मद्देनजर सुरक्षा पुख्ता
महर्ष ने बताया कि कश्मीर घाटी में अशांति की आशंका के मद्देनजर सभी संभावित खतरों का विश्लेषण कर एहतियाती कदम उठाये गये हैं. इस बाबत कश्मीर घाटी में किसी भी स्थिति से निपटने के लिये पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों की भी तैनाती की गयी है. राज्य के चार जिले पुलवामा, कुलगाम, शोपियां और अनंतनाग में बुरहान वानी की मौत के बाद पिछले एक साल से हिंसा की चपेट में आ गये हैं. इन जिलों में पिछले पांच महीनों के दौरान आतंकवादी हिंसा में दो पुलिसकर्मियों सहित 76 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच जम्मू कश्मीर सरकार ने भी आगामी छह जुलाई से राज्य के सभी स्कूलों में 10 दिन का ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित कर दिया गया है.
Bureau Report
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