सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए फैसले में कहा है कि फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर आरक्षण लेकर ली गई सरकारी नौकरी या दाखिले को कानून की नजरों में वैध नहीं ठहराया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। इसमें कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से नौकरी कर रहा है और बाद में उसका प्रमाणपत्र फर्जी पाया जाता है तो उसे सेवा में बने रहने की अनुमति दी जा सकती है।
महाराष्ट्र में जाति प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी कर्मी का जाति प्रमाणपत्र अवैध पाया गया, तो उसकी सरकारी नौकरी चली जाएगी। चाहे उसने 20 साल की सेवा क्यों न की हो। उसके अवैध प्रमाणपत्र पर शिक्षा और डिग्री भी रद्द हो जाएगी।
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