पाकिस्तान में पिछले 19 सालों में जनसंख्या में 57 फीसदी की बढ़ोतरी.

पाकिस्तान में पिछले 19 सालों में जनसंख्या में 57 फीसदी की बढ़ोतरी.इस्लामाबाद: पाकिस्तान की आबादी वर्ष 1998 में हुई पिछली जनगणना के मुकाबले 57 फीसदी बढ़कर 20.78 करोड़ हो गई है. यह जानकारी शुक्रवार को जारी जनगणना के अस्थायी आंकड़ों में दी गई. काउन्सिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट (सीसीआई) को सौंपे गए अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में 10.645 करोड़ पुरुष, 10.131 करोड़ महिलाएं और 10 हजार 418 ट्रांसजेंडर हैं. 

2.4 फीसदी की वार्षिक दल से बढ़ी आबादी

पांचवीं जनगणना के नतीजों से तुलना करने पर आबादी में 2.4 फीसदी की वार्षिक दर से 57 फीसदी की वृद्धि हुई है. पाकिस्तान में 1998 में कराई गई जनगणना के अनुसार पाकिस्तान की आबादी 13.2 करोड़ से अधिक थी. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार 6 वीं जनसंख्या और आवास जनगणना 2017 के अस्थायी सारांश परिणामों के मुताबिक, पाकिस्तान की आबादी बढ़कर 20.78 करोड़ हो गई है. 19 वर्षों के भीतर देश की आबादी में 7.54 करोड़ की वृद्धि हुई है.

अंतिम नतीजे अगले साल उपलब्ध होंगे

रिपोर्ट में कहा गया है कि सीसीआई एक संवैधानिक निकाय है. इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और चार मुख्यमंत्री इसके सदस्य होते हैं. सीसीआई ने शुक्रवार को जनगणना के अस्थायी आंकड़ों को मंजूरी दे दी. हालांकि, अंतिम नतीजे अगले साल उपलब्ध होंगे.

पाकिस्तान में तकरीबन दो दशकों के अंतराल के बाद छठी जनगणना

पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (पीबीएस) ने इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान में तकरीबन दो दशकों के अंतराल के बाद छठी जनगणना कराई थी. इसमें खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और संघ प्रशासित कबायली क्षेत्र (फाटा) में जनसंख्या वृद्धि दर में बढ़ोतरी हुई है जबकि पंजाब और सिंध में पिछले नतीजों के मुकाबले जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आई है.  ‘डॉन’ समाचार पत्र की खबर के अनुसार नतीजे दर्शाते हैं कि खैबर पख्तूनख्वा में 3.05 करोड़, फाटा में 50 लाख, सिंध में 4.79 करोड़, बलूचिस्तान में 1.23 करोड़, इस्लामाबाद में 20 लाख जबकि आबादी के हिसाब से सबसे बड़े प्रांत पंजाब में 11 करोड़ लोग रहते हैं.

पीएम ने की एजेंसियों की तारीफ

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने देश की जनगणना समय से पूरी करने को लेकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सराहना की. उन्होंने पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स स्टाफ और मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि अंतिम आंकड़े जल्द जारी हों ताकि उसी अनुसार देश की आर्थिक एवं सामाजिक योजना बनाई जा सके.

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