रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, चालू खाता घाटे में इजाफा.

 

रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, चालू खाता घाटे में इजाफा.मुंबई/कोलकाता: जून तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी के 2.4% हो गया, लेकिन देश का विदेशी मुद्रा भंडार रेकॉर्ड 400 बिलयन डॉलर (25.66 अरब रुपये) तक पहुंच गया है। उम्मीद की जा रही है कि वैश्विक बाजारों में आने वाले किसी भी तरह के संकट से मुकाबले का सामना करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर सकता है। भारत अब विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में 8वें नंबर पर है। इस सूची में चीन (3.09 ट्रिल्यन डॉलर) और जापान (1.2 ट्रिल्यन डॉलर) सबसे आगे हैं।

भंडार में वृद्धि सबसे अधिक मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में पोर्टफोलियो निवेशकों और एफडीआई के जरिए हुई है। यह भारत की मैक्रो इकॉनमी की मजबूती और ग्रोथ में निवेशकों के विश्वास को दिखाता है। 

केंद्रीय बैंक ने कहा कि चालू खाता घाटा जून तिमाही में जीडीपी के 2.4% तक बढ़ गया, यह पिछले साल के मुकाबले 0.1 फीसदी अधिक है। शुक्रवार को सरकार की ओर से जारी अन्य आकंड़ों में कहा गया कि ग्लोबल डिमांड में रिकवरी से अगस्त में भारत का निर्यात अगस्त में तेज हुआ, जोकि जुलाई में मंद था। लेकिन आयात निर्यात से आगे निकल गया है। इसमें 21 फीसदी की तेजी आई है। इससे व्यापार घाटा पिछले साल के 7.7 अरब डॉलर से बढ़कर 11.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया। 

सिंगापुर स्थित डीबीएस बैंक के अर्थशास्त्री राधिका राव के मुताबिक विदेश मुद्रा भंडार में रेकॉर्ड बढ़ोतरी की मुख्य वजह मजबूत पोर्टफोलिया आमद और अर्थव्यवस्था में निवेशकों का भरोसा जागना है। 

 
शुक्रवार को आरबीआई की ओर से जारी आकंड़ों के मुताबिक देश का विदेशी पूंजी भंडार 15 सितंबर को समाप्त सप्ताह में 260.41 करोड़ डॉलर बढ़कर 400.72 अरब डॉलर हो गया, जो 25,592.8 अरब रुपये के बराबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पूंजी भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा भंडार आलोच्य सप्ताह में 256.85 करोड़ डॉलर बढ़कर 376.20 अरब डॉलर हो गया। इसमें से 6 फीसदी हिस्सेदारी करंसी मूवमेंट की है, कई करंसी के साथ डॉलर में भी गिरावट देखने को मिल रही है।

भारत 2013 में वैश्विक वित्तीय उथल-पुथल वाले देशों में शामिल था। रुपया गिरकर रेकॉर्ड 68.85 स्तर तक पहुंच गया और विदेशी मुद्रा भंडार 275 अरब डॉलर के स्तर तक तक आ गया। इसके बाद सरकार और केंद्रीय बैंक ने संकट से उबरने के लिए कई कदम उठाए। 

इनमें से एक था एनआरआई के लिए तीन वर्षीय विशेष जमा योजना, इससे 27 अरब डॉलर की आमदनी हुई, जिससे करंसी में स्थिरता आई। तब से महंगाई को 4% तक रखने पर फोकस है। वित्तीय घाटने पर लगाम और मैक्रोइकनॉमिक में सुधार से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। विदेशी पोर्टफोलिया निवेश मजबूत हुआ है और 2017 में 42,659 करोड़ का इक्विटी निवेश हुआ। इससे इस साल रुपये में 6% मजबूत बढ़ी है और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में इसका प्रदर्शन सबसे अच्छा है। यह नोट करने लायक है कि रिकवरी से पहले नवंबर 2016 में रुपया 68.86 के स्तर तक पहुंच गया था। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले यह 64.90 के स्तर पर बंद हुआ। 

 
मुद्रा अभिमूल्यन आयात को आकर्षक बना रहा है जबकि निर्यात अप्रतिस्पर्धी हो रहा है। आरबीआई के ताजे आंकड़े से पता चलता है कि चालू खाता घाटा (निर्यात से अधिक आयात) जून तिमाही में 14.3 अरब डॉलर था, यह पिछले साल के मुकाबले 0.4 अरब डॉलर और मार्च तिमाही से 3.4 अरब डॉलर अधिक है। 

आरबीआई के मुताबिक, ‘साल दर साल बेसिस पर चालू खाता घाटे के पीछे अधिक व्यापार घाटा है, जोकि निर्यात के मुकाबले आयात अधिक होने से होता है।’ आईसीआरए के अर्थशास्त्री अदिति नैयर के मुताबिक, ‘चालू खाता में घाटे में बढ़ोतरी से कोई हैरानी नहीं है, जीएसटी लागू होन से पहले सोने के आयात में इजाफे की वजह से ऐसा हुआ है।’

Bureau Report

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