मुंबई: ‘शुभ मंगल सावधान’ दरअसल ‘नॉट सो हॉट’ लड़की सुगंधा और ‘नॉट सो कूल’ लड़के मुदित की कहानी है. कहानी उनके प्यार, शादी और उनके बीच आई एक ‘जेंट्स प्रॉब्लम’ पर आधारित है.
आर एस प्रसन्ना के निर्देशन में बनी यह एक कॉमेडी-ड्रामा-लव स्टोरी है जो ‘इरेक्टाइल डिसफंक्शन’ की समस्या को बहुत हल्के-फुल्के ढंग से सुनाती है. हालांकि फिल्म में ‘इरेक्टाइल डिसफंक्शन’ का नाम कहीं नहीं लिया गया है लेकिन चाय में डूबे बिस्कुट और धीरे-धीरे टपकते नल जैसे मेटाफर इसे समझाने के लिए बखूबी इस्तेमाल किए गए हैं.
कहानी: 3 स्टार
मुदित ने सुगंधा को देखा और एक नजर में उससे प्यार कर बैठा. ऑनलाइन शादी के लिए रिश्ता भी भेज दिया. फिर दोनों लग गए इस ‘लव कम अरेंज कम लव मैरेज’ की तैयारी में.
लेकिन पहली बार नजदीक आने पर मुदित को एहसास हुआ कि वो सुगंधा को सेक्शुअली खुश नहीं रख पाएगा. अब शादी में कुछ ही दिन बचे हैं और मुदित हर नीम हकीम और बाबाओं के दरवाजे खड़खड़ा रहा है.
लेकिन सुगंधा साथ देती है उसका. हरिद्वार में डेस्टिनेशन वेडिंग होनी है उनकी और वहां दोनों के परिवारों के बीच यह बात खुल जाती है कि मुदित को ‘इरेक्टाइल डिसफंक्शन’ की समस्या है. आरोप-प्रत्यारोपों के कई दौर चलते हैं लेकिन मुदित और सुगंधा अपने प्यार की खातिर सबसे लड़ते हैं.
फिल्म की शुरुआत कई नई पुरानी फिल्मों के मशहूर सीन्स से होती है. ये सुगंधा के ड्रीम सीक्वेंस जैसा सीन है लेकिन आप हर सीन के साथ उसकी कहानी को और करीब से समझते हैं. यह एक अच्छा प्रयोग है खासकर उस समाज की लड़कियों का मन समझने के लिए जिनके लिए प्यार का मतलब ही बॉलीवुड है.
शुरू से आखिर तक फिल्म आपको बांधे रखती है. बेवजह के जोक्स नहीं बल्कि सिचुएशनल कॉमेडी का भरपूर डोज है इस फिल्म में. लेकिन अंत आपको थोड़ा सा निराश कर सकता है. ऐसा लगता है पूरी फिल्म की शूटिंग बहुत मन लगा कर की गई और अंत मे सब इस कदर थक गए कि कहा गया, ‘अब पैक अप’.
लेकिन फिल्म में एक बहुत जरूरी और संवेदनशील मुद्दे की बात की गई है. ‘इरेक्टाइल डिसफंक्शन’ की समस्या जो किसी लड़के के लिए अपने खास दोस्तों से कह पाना भी हमारे समाज में मुश्किल है, फिल्म के माध्यम से लोगों के ड्राइंग रूम टॉक्स का हिस्सा बन सकती है और ये एक अच्छी पहल है. कहानी के लिए हम फिल्म को 3 स्टार दे रहे हैं.
एक्टिंग: 3.5
फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है उसके पात्र. हर किरदार आपके अपने घर, परिवार, गली, मोहल्ले और शहर का हिस्सा लगता है. आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर अपने रोल में पूरी तरह फिट लगे हैं. लेकिन फिल्म में असली तड़का लगाया है एनी किरदारों ने. मम्मी, पापा, ताऊ जी, ताई जी, छोटा भाई, मामा, चाचा हर कोई असल जिंदगी के लोगों से बहुत करीब हैं. छोटे से छोटा रोल भी हर किरदार ने बखूबी निभाया है. एक्टिंग के लिए हम इस फिल्म को 3.5 स्टार दे रहे हैं.
म्यूजिक: 3 स्टार
फिल्म का संगीत और गानों के बोल तनिष्क-वायु की जोड़ी ने लिखे और कंपोज किये हैं. गाने अलग से बहुत खास नहीं हैं लेकिन फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाते हैं. गाने कैची हैं और लोगों की जुबान पर चढ़ने लगे हैं. बैकग्राउंड म्यूजिक भी कहानी में बैलेंस लाता है. म्यूजिक के लिए हम इस फिल्म को 3 स्टार दे रहे हैं.
सिनेमैटोग्राफी: 3 स्टार
फिल्म की कहानी दिल्ली बेस्ड है. घर, कमरे, ऑफिस और मार्किट बिलकुल वैसा है जैसा असली में होता है. सीलन लगी दीवारें, ऑफिस में सीढ़ियों में पान की पीक और मार्केट में घुमते वेंडर्स. डायरेक्टर ने जितना हो सके फिल्म को रियलिटी के करीब रखने की कोशिश की है. हरिद्वार के कुछ दृश्य हैं लेकिन उड़न-खटोले पर लटके हुए आयुष्मान को देखकर यकीन हो जाता है कि आप हिंदी फिल्म ही देख रहे हैं. सिनेमैटोग्राफी के लिए हम फिल्म को 3 स्टार दे रहे हैं.
कुल मिलाकर: 3 स्टार
‘शुभ मंगल सावधान’ एक अच्छी और जरूरी फिल्म है. ‘टैबू’ विषयों को खंगालती कहानियों और ऐसी फिल्में बनाते हुए निर्देशकों को देखकर यकीन होता है कि हिंदी सिनेमा बड़ा हो रहा है. फिल्म को U/A सर्टिफिकेट मिल गया है लेकिन अगर आप फिल्म देखकर सवाल करते बच्चों के जवाब देने में कम्फर्टेबल हैं तभी बच्चों को फिल्म दिखाने ले जाएं. कुल मिलाकर हम इस फिल्म को 3 स्टार दे रहे हैं.
Bureau Report
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