नईदिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘स्वच्छता दिवस’ के मौके पर दिल्ली के विज्ञान भवन में स्वच्छता के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाले लोगों को स्वच्छता पुरस्कार से सम्मानित किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन साल पहले उन्होंने जब स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी तो उनकी काफी आलोचना हुई थी. पीएम ने बताया कि राजनीति में आने से उन्होंने अपना जीवन एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में बिताया. उन दिनों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘राजनीति में आने से पहले सामाजिक संगठन में रहकर भी उन्होंने सफाई के लिए काम किया. पीएम ने बताया कि पैसा इकट्ठा करके उन्होंने गुजरात में एक गांव गोद लिया.
इस दौरान उन्होंने पूरे गांव में स्वच्छता की व्यवस्था करवाई और टॉयलेट बनवाए थे, लेकिन बाद में उस गांव का नजारा कुछ और ही था. प्रधानमंत्री ने कहा कि काफी समय बाद जब मैं वापस उस गांव में गया तो देखा की टॉयलेट में बकरियां बंधी हुई थी.’ पीएम मोदी ने कहा कि स्वराज का शस्त्र था सत्याग्रह, श्रेष्ठ भारत का शस्त्र है स्वच्छता. इसके साथ ही कहा कि स्वच्छता पर नेता, सरकार चर्चा इसलिए नहीं करते क्योंकि कहीं खुद पर न पड़ जाए.
पीएम मोदी ने कहा कि स्वच्छता के लिए वैचारिक आंदोलन जरूरी है. समाज में बदलाव के विषय पर राजनीति होना गलत है. स्वच्छता को जिम्मेदारी समझकर निभाना होगा. पांच साल बाद जो गंदगी करेगा उसकी खबर बनेगी. अब ये मिशन किसी सरकार का नहीं है बल्कि पूरे देश का है. हमें स्वराज्य मिला, श्रेष्ठ भारत का मंत्र स्वच्छता है.
महिला के नजरिये से देखें
पीएम मोदी ने कहा कि स्वच्छता के विषय पर महिला के नजरिये से देखें तभी इसका महत्व समझ में आएगा. घरों में महिलाओं का लंबा वक्त सफाई में बीतता है. परिवार के सभी लोग सही जगह पर चीजें रखें तो मां को राहत मिलेगी. पीएम मोदी ने कहा कि टॉयलेट नहीं होने से महिलाओं को असुरक्षा होती है. सोच बदलकर ही स्वच्छता की अहमियत समझ में आएगी. स्वच्छता के लिए वैचारिक आंदोलन की जरूरत है. स्वच्छता को धर्म मान लें तो 50 हजार रुपये बचा सकते हैं. स्वच्छता नहीं होने से सालाना 50 हजार रुपये खर्च होते.
Bureau Report
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