नईदिल्ली: पर्यावरण को बचाने के लिए शुरू किए गए चिपको आंदोलन के आज 45 साल पूरे हो रहे हैं. चिपको आंदोलन क्या था और इसका क्या महत्व है इसे बताने के लिए गूगल ने एक खास डूडल बनाया है. गूगल ने इस बारे में लिखा, ”महिलाओं ने ही आंदोलन के केंद्रीय ताने-बाने को बुना. ऐसा इसलिए भी वृक्षों की कटाई के कारण जंगल में लकड़ी की कमी और पीने के पानी का अभाव से यही समूह सीधे तौर पर प्रभावित होता.” वहीं, दक्षिणी मध्य रूसी शहर केमरोवो में रविवार को एक शॉपिंग मॉल में आग लग गई जिसमें 37 लोगों की मौत की खबर आई है.
चिपको आंदोलन: जब इंदिरा गांधी को पेड़ों की कटाई पर बैन लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा..
पर्यावरण संरक्षण के इरादे से आजादी के बाद के सबसे बड़े आंदोलनों में शुमार चिपको आंदोलन की 26 मार्च को 45वीं वर्षगांठ हैं. गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित इस अहिंसक आंदोलन की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि इसका नेतृत्व महिलाओं ने किया था. इसलिए गूगल ने चिपको आंदोलन पर डूडल बनाने के साथ ही इसको ईको-फेमिनिस्ट आंदोलन कहा. गूगल ने इस बारे में लिखा, ”महिलाओं ने ही आंदोलन के केंद्रीय ताने-बाने को बुना. ऐसा इसलिए भी वृक्षों की कटाई के कारण जंगल में लकड़ी की कमी और पीने के पानी का अभाव से यही समूह सीधे तौर पर प्रभावित होता.”
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