नईदिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को पार्टी के राष्ट्रीय महाधिवेशन में अपने संबोधन के दौरान महाभारत का जिक्र करते हुए बीजेपी को कौरव और कांग्रेस पार्टी को पांडव की संज्ञा दी. इसके साथ ही अपनी पार्टी के नेताओं को भी नसीहत की घुट्टी पिलाते हुए पार्टी में बड़े बदलाव की बात कही. इस तरह के दावे तो वह पहले भी करते आए हैं लेकिन सवाल उठता है कि क्या पुराने नेताओं की जगह नए चेहरों को लाने में उनको परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा? क्या इससे पार्टी में ओल्ड गार्ड बनाम युवा तर्क की महाभारत नहीं छिड़ेगी? ऐसा इसलिए क्योंकि इन दावों के बावजूद अभी तक पार्टी की पुरानी परिपाटी को तोड़ा नहीं जा सका है. इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में अगले कुछ महीनों में ही चुनाव होने वाले हैं लेकिन वहां पुराने चेहरों की जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट को पार्टी का चेहरा अभी तक घोषित नहीं किया जा सका है.
हरियाणा में तो मारपीट तक पहुंच चुका है मामला
इसी तरह हाल ही में बिहार कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी खुलकर दिखी और अशोक चौधरी जैसे एक मजबूत नेता ने कांग्रेस से खुद को अलग कर लिया और जेडीयू का दामन थाम लिया. वहीं हरियाणा कांग्रेस में जारी दो गुटों के बीच तो लाठी-डंडे चलने की नौबत तक आ गई. 2016 के अंत में हरियाणा कांग्रेस के प्रमुख अशोक तंवर और भूपिंदर सिंह हुड्डा के समर्थकों के बीच हुई झड़प हुई थी, जिसमें तंवर घायल हो गए थे. घायल कांग्रेस अध्यक्ष से मिलने के लिए राहुल गांधी अस्पताल भी पहुंचे थे.
कार्यसमिति में मिली राहुल के पसंदीदा लोगों को जगह
रविवार को महाधिवेशन के समापन भाषण के दौरान राहुल गांधी ने पार्टी के अंदर लोकतंत्र लाने की बात भी कही और अधिक से अधिक संख्या में कार्यकर्ताओं को मौका देने की वकालत की. लेकिन अधिवेशन के कुछ ही देर बाद ही कांग्रेस पार्टी के अंदर वर्षों से जारी पुरानी परिपाटी को ही अपनाया गया. राहुल को कार्यसमिति के सदस्यों को मनोनीत करने का पूरा अधिकार दे दिया गया. उन्होंने भी इसका विरोध नहीं किया और अपने पसंद के 24 लोगों को उन्होंने नॉमिनेट करना पसंद किया.
2014 लोकसभा चुनाव से पहले भी राहुल कर चुके हैं बदलाव की बात
2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 2013 में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस के अंदर व्यापक और ठोस बदलाव लाने की बात कही थी. उस समय केंद्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था. साथ ही कांग्रेस के हाथों से एक के बाद एक कई राज्यों से सत्ता चली गई. ज्ञात हो कि अध्यक्ष बनने से पहले बीजेपी लगातार इस बात का आरोप लगाती रही है कि कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी ही चला रहे हैं.
‘पैराशूट लैंडिंग वाले नेताओं को नहीं मिलेगा टिकट’
कांग्रेस पार्टी के 84वें राष्ट्रीय महाधिवेशन के समापन भाषण में राहुल गांधी ने पार्टी के अंदर बदलाव लाने की बात कही. अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि पैराशूट नेताओं को नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं को टिकट दिया जाएगा.
‘कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच दीवार तोड़ेंगे’
राहुल ने कहा कि युवा कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच दीवार गहरी है, जिसे प्रेम से तोड़ना है. उन्होंने कहा, ‘पीछे जो हमारे कार्यकर्ता बैठे हैं, उनमें ऊर्जा है, देश को बदलने की शक्ति है. लेकिन उनके और नेताओं के बीच में एक दीवार खड़ी है. मेरा पहला काम उस दीवार को तोड़ने है. गुस्से से नहीं प्यार से.’ राहुल के इस बयान को कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेताओं के लिए संकेत माना जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी में अभी जो भी आपसी लड़ाई है चुनाव बाद लड़ेंगे, पहले पार्टी के लिए काम करेंगे. 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए राहुल गांधी का यह भाषण काफी अहम माना जा रहा है. देखना दिलचस्प होगा कि पिछली बार की तरह राहुल के आक्रमक तेवर सिर्फ भाषण तक ही सीमित रहते हैं या फिर उसका कांग्रेस पार्टी के संगठन पर भी असर दिखता है.
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