नईदिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद सावित्री बाई फूले अपनी ही पार्टी की सरकार से नाराज चल रही हैं. मीडिया के मुताबिक बहराइच से सांसद सावित्री बाई फूले ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार की अनुसूचित जाति और जनजाति (SC/ST) समाज के प्रति उदासीन है. मौजूदा सरकार की नीतियां SC/ST के खिलाफ है. इसके प्रति अपना विरोध जताने के लिए सावित्री बाई फूले एक अप्रैल को लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करेंगी.
पिछले दिनों बीजेपी सांसद सावित्री बाई फूले ने आरोप लगाया था कि आरक्षण देने में साजिश रची जा रही है. उन्होंने कहा था कि एक साजिश के तहत SC/ST समाज के नौजवानों को अपात्र घोषित कर दिया जाता है. सांसद सावित्री बाई फूले ने कहा कि सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में भी आरक्षण लागू होना चाहिए. मालूम हो कि सावित्री बाई फूले पिछले कुछ समय से कई मुद्दों पर पार्टी के खिलाफ झंडा बुलंद किए हुए हैं. हालांकि वे अपने भाषणों में कभी भी पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर विरोध नहीं जताती हैं.
गोरखपुर और फूलपुर में हार के बाद BJP में उठने लगे हैं विरोध के सुर
इसी महीने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की हार पर पार्टी के ही वरिष्ठ नेता रमाकांत यादव ने आरोप था कि पार्टी का पिछड़े और दलितों पर ध्यान नहीं है. उन्होंने कहा था, ‘पिछड़े और दलितों की जिस तरह से उपेक्षा की जा रही है, उसका परिणाम आज ही सामने आ गया. मैंने आज भी अपने दल को कहना चाहता हूं, अगर आप दलितों, पिछड़ों को साथ लेकर चलेंगे तो 2019 में संतोष जनक स्थिति बन सकती हैं.’
इससे पहले बुधवार को गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी कई नेता और कार्यकर्ता टीवी चैनलों पर कहते देखे गए थे कि सत्ता में आने के बाद पार्टी उनकी बातों को तवज्जो नहीं दे रही है. इस बात से कार्यकर्ता नाराज हैं. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या कह चुके हैं कि अतिआत्म विश्वास की वजह से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है. पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह भरने के लिए फिर तैयारी की जाएगी.
सपा-बसपा गठजोड़ से बीजेपी में खलबली
बीजेपी के खिलाफ चुनावी लड़ाई में उतरने के लिए कभी एक-दूसरे के कट्टर विरोधी रही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठजोड़ हो चुका है. फूलपुर और गोरखपुर सीट पर हुए उपचुनाव में इन दोनों पार्टियों की दोस्ती के चलते बीजेपी प्रत्याशी को करारी हार मिली थी. 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी इस गठबंधन को बनने नहीं देना चाहती है. बीजेपी के ही कई नेता कह चुके हैं कि सपा-बसपा के गठजोड़ से उत्तर प्रदेश में एक मजबूत राजनीतिक समीकरण तैयार हो चुका है, जिससे निपटना आसान नहीं है.
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