नईदिल्ली: नाबालिग से रेप मामले में जोधपुर कोर्ट ने आसाराम को दोषी करार दिया है. आसाराम कब भारत आया और बाबा बनने से पहले क्या करता था. यह जानकर आप हैरान हो जाएंगे. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक दरअसल बाबा बनने से पहले आसाराम तांगा चलाकर या चाय बेचकर अपने परिवार को पेट पालता था. पिता लकड़ी और कोयले के कारोबारी थे. आसाराम का असली नाम असुमल हरपलानी है. उसका परिवार सिंध, पाकिस्तान के जाम नवाज अली तहसील का रहनेवाला था, लेकिन बंटवारे के बाद अहमदाबाद आकर बस गया. वहां कुछ साल बिताने के बाद वह एक बाबा की संगत में आ गया था और फिर बाबा बन गया.
अजमेर में चलाता था तांगा
आसाराम बाबा बनने से पहले अजमेर शरीफ में तांगा चलाता था. दो साल तक उसने रेलवे स्टेशन से दरगाह शरीफ तक तांगे से सवारी ढोई थी. उस समय कोई नहीं जानता था कि आगे चलकर असुमल हरपलानी आसाराम बन जाएगा. अजमेर में तांगा स्टैंड के लोग आसाराम को अब भी याद करते हैं और उसके बारे में कई कहानियां बताते हैं.
आसाराम के पिता लकड़ी बेचते थे
एक मीडिया रिपोर्ट में दावा है कि आसाराम के पिता लकड़ी और कोयले के कारोबारी थे. आसाराम तीसरी तक पढ़ा है. पिता के निधन के बाद उसने कभी टांगा चलाया तो कभी चाय बेचने का काम किया. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 15 साल की आयु में आसाराम ने घर छोड़ दिया और गुजरात के भरुच में एक आश्रम में रहने लगा. 1960 के दशक में उसने लीलाशाह को अपना आध्यात्मिक गुरु बनाया. बाद में लीलाशाह ने ही असुमल का नाम आसाराम रखा. शुरुआत में प्रवचन के बाद प्रसाद के नाम पर वितरित किए जाने वाले मुफ्त्त भोजन ने भी आसाराम के ‘भक्तों’ की संख्या को तेजी से बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
1973 में बनाया पहला आश्रम
1973 में आसाराम ने अपने पहले आश्रम और ट्रस्ट की स्थापना अहमदाबाद के मोटेरा गांव में की. 1973 से 2001 के दौरान आसाराम ने बेटे नारायण साईं के साथ भारत ही नहीं विदेश में 400 आश्रमों का नेटवर्क खड़ा किया. कई गुरुकुल, महिला केंद्र बनाए. फिर 1997 से 2008 के बीच उस पर रेप, जमीन हड़पने, हत्या जैसे कई आरोप लगते रहे. 2008 में जब एक बच्चे की मौत आसाराम के स्कूल में हुई तो उस पर तांत्रिक क्रियाओं को लेकर हत्या करने के आरोप लगे.
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