नईदिल्ली: कर्ज के भारी बोझ से दबी देश की बड़ी कंपनी आलोक इंडस्ट्रीज बिकने के कगार पर है. इससे कंपनी के लगभग 12,000 परमानेंट कर्मचारियों की नौकरी जाने की आशंका है. बैंकरप्सी कोड लागू होने के बाद से नौकरी जाने का यह सबसे बड़ा मामला हो सकता है. कंपनी की 2016-17 की फाइनेंशियल रिपोर्ट के मुताबिक, जिन कर्मचारियों की नौकरी जाने का खतरा है इनकी औसतन सालाना सैलरी करीब 1.45 लाख रुपए प्रति कर्मचारी है.
बंद हो सकती है कंपनी
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की M&A एंड इनसॉल्वेंसी सर्विस के पार्टनर और हेड, मनोज कुमार का कहना है कि ‘रेजॉल्यूशन प्लान पर विचार करते समय लेंडर्स सिर्फ रिकवरी पर ध्यान दे रहे हैं. अगर उन्हें लगता है कि ऑफर उनकी उम्मीद के अनुसार नहीं है तो वे रेजॉल्यूशन प्लान को स्वीकार करने से मना कर सकते हैं. इससे कंपनी लिक्विडेशन में चली जाएगी. अगर लेंडर्स अपने व्यावसायिक हित की सुरक्षा को देख रहे हैं तो उन्हें कंपनी के लिक्विडेशन से होने वाले नुकसानों पर भी विचार करना चाहिए.’
कर्मचारियों के साथ इनको भी नुकसान
आलोक इंडस्ट्रीज के पास 31 मार्च 2017 तक 11,759 फुल-टाइम एंप्लॉइज थे. कंपनी में कुल कर्मचारियों की संख्या लगभग 18,000 थी. 2016-17 के फाइनेंशियल ईयर में कंपनी ने कर्मचारियों की सैलरी पर 283.31 करोड़ रुपए खर्च किए थे. कंपनी के लिक्विडेशन से बड़ी संख्या में छोटे वेंडर्स और सर्विस प्रोवाइडर्स को भी बड़ा नुकसान होगा.
आपको भी हो सकता है नुकसान
अगर आप भी आलोक इंडस्ट्रीज के शेयरधारक हैं तो यह नुकसान आपका भी है. करीब 2.05 लाख इक्विटी शेयरहोल्डर्स को कंपनी के बिजनेस समेटने पर नुकसान उठाना पड़ेगा. शेयरहोल्डर्स में फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और रीटेल इन्वेस्टर्स शामिल हैं. रेजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने आलोक इंडस्ट्रीज को पिछले सप्ताह के अंत में लिक्विडेशन के लिए भेजने की सिफारिश की थी. लेंडर्स को रेजॉल्यूशन प्लान तैयार करने के लिए मिली 270 दिन की डेडलाइन 14 अप्रैल को समाप्त हो गई. कंपनी पर लेंडर्स के लगभग 29,500 करोड़ रुपए बकाया हैं. इनमें सबसे अधिक रकम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की है.
लेंडर्स ने स्वीकार नहीं किया ऑफर
आलोक इंडस्ट्रीज के लेंडर्स ने पिछले सप्ताह रिलायंस इंडस्ट्रीज-JM फाइनेंशियल ARC का कंपनी को खरीदने के लिए दिया गया नया ऑफर स्वीकार नहीं किया था. 5050 करोड़ रुपए के संशोधित कैश ऑफर को केवल 70 पर्सेंट लेंडर्स ने हरी झंडी दी थी. रेजॉल्यूशन प्लान को स्वीकार करने के लिए कम से कम तीन-चौथाई लेंडर्स का उसके पक्ष में वोट देना आवश्यक होता है.
80 कंपनियां पहले हो चुकी हैं बंद
आलोक इंडस्ट्रीज उन चुनिंदा कंपनियों में से एक है जिनके बैंकरप्सी प्रोसीडिंग में जाने के बाद रेजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने कई बार रेजॉल्यूशन प्लान मंगाए हैं. इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत लगभग 80 कंपनियां पहले ही लिक्विडेशन में जा चुकी हैं. इसके साथ ही इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग का सामना कर रही 100 से अधिक कंपनियां लिक्विडेशन में जाने के कगार पर हैं.
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