वुहान: चीन यात्रा पर गए पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात भारत के लिए काफी फायदेमंद साबित होने वाली है. सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के मुताबिक शनिवार (28 अप्रैल) को भारत और चीन के बीच अफगानिस्तान में एक संयुक्त आर्थिक परियोजना पर सहमति बन गई है. यह प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का तोड़ माना जा रहा है. बता दें कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर भारत का ऐतराज है, क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगी. शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद और आतंकवाद पर भी चर्चा हुई है.
कुछ अहम मुद्दों पर बनी बात
दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की मुलाकात के बाद भारतीय विदेश सचिव गोखले ने मीडिया को संबोधित किया. उन्होंने बताया कि ‘इस दौरे में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चार बैठकें हुई और इस दौरान दोनों देश सीमा पर शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने को लेकर सहमत हुए.’ उन्होंने कहा, जिस वक्त पीएम मोदी चीन के लिए दिल्ली से रवाना हुए थे, ‘उस वक्त तय हुआ था कि कोई समझौता नहीं होगा, लेकिन दोनों देश कुछ अहम मुद्दों पर सहमत हुए हैं.’
आंतकवाद को बताया खतरा
गोखले ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों नेताओं के बीच आतंकवाद को लेकर चर्चा हुई है. उन्होंने कहा, आतंकवाद से दोनों देशों को खतरा, दोनों देशों ने साथ मिलकर लड़ने पर भरोसा जताया है.’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों नेताओं के बीच आतंकी मसूद अजहर को लेकर कोई वार्ता नहीं हुई है.
‘वर्ल्ड इकोनॉमी’ पर हुई चर्चा
शनिवार को पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने काफी वक्त साथ गुजारा. पहले दोनों नेता वुहान की सबसे मशहूर झील के किनारे टहले और फिर बोट की सवारी की. बोट की सवारी के दौरान पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने चाय पी और इस दौरान ‘वर्ल्ड इकोनॉमी’ के मुद्दे पर चर्चा हुई.
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