नईदिल्ली: दो महीने पहले बैंकिंग घोटालों की जांच खुलनी शुरू हुई थी. पीएनबी के बाद एक-एक कर सरकारी बैंकों ने अपने दिए कर्ज को घोटाला दिखा दिया. इसके बाद नंबर प्राइवेट बैंकों का था. सबसे पहले सामने आया आईसीआईसीआई बैंक. वीडियोकॉन ग्रुप को लोन देने में अनियमितता बरतने के चलते सीईओ चंदा कोचर को सवाल-जवाब का सामना करना पड़ रहा है. चर्चा है कि बोर्ड के कुछ डायरेक्टर्स उन्हें पद पर नहीं देखना चाहते. मामले शांत हुआ भी नहीं की दूसरी तरफ एक और प्राइवेट एक्सिस की सीईओ शिखा शर्मा पर भी गाज गिरी और बढ़ते एनपीए को लेकर उनके चौथे कार्यकाल पर सवाल खड़े हो गए. आरबीआई ने बैंक बोर्ड को चिट्ठी लिखकर उनके चौथे कार्यकाल पर दोबारा विचार करने को कहा. वहीं, इसके कुछ दिन बाद ही शिखा शर्मा ने खुद ही अपना कार्यकाल घटाने का मन बना लिया. लेकिन… क्या सबकुछ ठीक है. ये इस्तीफा ही होगा या फिर कुछ और..?
क्यों सवाल खड़े होते हैं?
एक्सिस बैंक की सीईओ शिखा शर्मा ने बोर्ड से अपना कार्यकाल घटाने के लिए कहा है. वह दिसंबर 2018 तक ही इस पद पर रहना चाहती हैं. बोर्ड ने उनकी यह गुजारिश मंजूर कर ली है. जुलाई 2017 में उनका कार्यकाल खत्म होने के काफी पहले ही उन्हें और तीन साल के लिए बैंक का सीईओ नियुक्त किया था. उनका नया टर्म 1 जून, 2018 से शुरू होने वाला है. लेकिन, क्या यही हकीकत है. सिर्फ बाजार, शेयरधारकों के हित में यह फैसला है या फिर कोई दबाव है.
आरबीआई की चिट्ठी के बाद क्यों?
सवाल ये उठता है कि शिखा शर्मा ने बोर्ड से कार्यकाल घटाने को अब क्यों कहा. क्या सही में यह उनका फैसला है या फिर आरबीआई की चिट्ठी के बाद एक्सिस बैंक के बोर्ड ने उन्हें इस पद से हटने के लिए कहा है. बोर्ड एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बोर्ड ने उनसे चर्चा की थी. वह इस पर सहमत थीं. हालांकि, बोर्ड ने उनसे फिर भी विचार करने के लिए कहा था. लेकिन, उन्हें थोड़ा वक्त मांगते हुए दिसंबर तक पद पर बने रहने की गुजारिश की.
बोर्ड भी नहीं था एकमत!
सूत्रों की माने तो एक्सिस बैंक के बोर्ड के कुछ सदस्य चाहते थे कि शिखा शर्मा कम से कम अगले साल सीईओ रहें. हालांकि, कुछ सदस्य यह भी चाहते हैं कि शेयरधारकों के हित और एनपीए को लेकर बढ़ते दबाव से उबरने के लिए तत्काल उन्हें पद छोड़ना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, शिखा शर्मा की काफी देर तक कुछ बोर्ड सदस्यों के साथ अनौपचारिक बैठक हुई थी. उस बैठक के बाद ही शिखा शर्मा के कार्यकाल घटाने की बाद सामने आई है.
निजी फैसला था तो पहले क्यों नहीं?
बोर्ड का कहना है कि यह शिखा शर्मा का निजी फैसला है. लेकिन, अगर ऐसा है तो यह फैसला उस वक्त क्यों नहीं लिया गया जब चौथे कार्यकाल पर विचार हो रहा था. बैंकिंग जानकारों की मानें तो इस वक्त बैंकिंग सिस्टम बुरे दौर से गुजर रहा है. ऐसे में सरकार, आरबीआई और बैंकों को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे. यह उन्हीं फैसलों में से एक है.
एनपीए की वजह से फैसला तो नहीं..?
बैंक के NPAs में पिछले कुछ सालों से तेज इजाफा हुआ है. बैंक का मार्च 2015 में जहां NPAs 4,110 करोड़ रुपए था, वहीं यह मार्च 2017 में बढ़कर 21,280 करोड़ रुपए हो गया है. इस प्रकार दो साल में ही बैंक का एनपीए करीब 5 गुना बढ़ गया है. वहीं बैंक का प्रॉफिट इस दौरान 7,357.8 करोड़ रुपए से गिरकर 3,679.2 करोड़ रुपए पर आ गया.
शिखा शर्मा ने खुद की रिक्वेस्ट
एक्सिस बैंक के अनुसार बैंक की प्रबंध निदेशक और सीईओ शिखा शर्मा ने खुद ही बैंक के बोर्ड से आग्रह किया है उनका कार्यकाल 1 जून से 31 दिसबंर तक के लिए ही रिवाइज्ड किया जाए. हालांकि बैंक ने अपनी रेग्युलेटरी फाइलिंग में यह नहीं बताया है कि उन्होंने ऐसा आग्रह क्यों किया है. रेग्युलेटरी फाइलिंग के अनुसार बैंक के बोर्ड ने उनका आग्रह स्वीकार कर लिया है, लेकिन यह आरबीआई की मंजूरी के बाद ही लागू माना जाएगा.
पिछले साल ही छोड़ने का मन बनाया था
इस मामले के जानकार एक दूसरे शख्स ने बताया कि शिखा शर्मा ने पिछले साल ही बैंक छोड़ने का इरादा जताया था कि उन्हें एक्सिस से बाहर ज्यादा वेतन पर नई भूमिका मिल रही है. लेकिन बैंक ने उन्हें एक्सिस में बने रहने लिए मना लिया. हालांकि, आरबीआई की ओर से उनकी दोबारा नियुक्ति को मंजूरी में देरी की वजह से शिखा दोबारा बोर्ड में इस आवेदन के साथ आईं कि उनकी छुट्टी मंजूर की जाए. आखिरकार बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी और उन्हें नए सीईओ की नियुक्ति तक पद पर बने रहने को कहा.
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