जम्मूकश्मीर: ‘अगर फिरदौस बर रु-ए जमीं अस्त, हमीं अस्तो हमीं अस्तो हमीं अस्त..‘ यानी जमीं पर कहीं जन्नत है तो बस यहीं है यहीं है यहीं है. अमीर खुसरो के ये अशआर आज भी हर हिंदुस्तानी के जहन में कहीं न कहीं सांसे ले रहे हैं. आज अंतर सिर्फ इतना है कि कश्मीर का नाम लेते ही अमीर खुसरो के इन अल्फाज़ों से पहले हम सब के जहन में वहां पनप रहे आतंकियों का खूनी खेल दिमाग को झकझोरने लगता है. मौजूदादौर में जम्मू और कश्मीर नाम जैसे ही कानों से टकराता है, दिलोदिमाग में दो ही तरह की तस्वीरें कौंधती हैं. जिसमें पहली तस्वीर आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच चल रही गोलीबारी की होती है, तो दूसरी तस्वीर में AK47 और ग्रेनेड से मासूम और अमनपसंद कश्मीरियों पर हमला करते आतंकी नजर आते हैं. वही जहां तक कश्मीरी युवाओ की बात आते ही सुरक्षाबलों पर पत्थर बरसाते नकाबपोश लोगों की तस्वीर जहन मे ट्रोल होने लगती है.
आमतौर पर माना जाने लगा है कि बड़ी तादाद में कश्मीर का युवा आतंकियों का हमदर्द, सेना का दुश्मन और पत्थरबाज है. हालांकि हकीकत इससे मीलों दूर है. हकीकत यह है कि कश्मीर में सेना के दुश्मन बने आतंकियों के हमदर्दों की संख्या बेहत मुट्ठी भर है. जबकि, अमन की चाहत रखते हुए कश्मीर में मोहब्बत के नए रंग में भरने की कोशिशों में जुटे कश्मीरियों की संख्या इनसे बहुत अधिक है. यह नौजवान कई ऐसे प्रयास कर रहे हैं जिससे कश्मीर की दुनियां में सकारात्मक पहचान कायम की जा सके. इसमें कुछ प्रयास ऐसे हैं जिसकी झलक सिर्फ विदेशों में नजर आती है, हिन्दुस्तान के चंद ऐसे शहर हैं जहां पर इस तरह के प्रयासों को थोड़ा बहुत देखा जा सकता है. इसके अलावा, कुछ नौजवान ऐसे भी हैं जो कश्मीर की रंगत को बदलने के लिए सोशल मीडिया पर कई बेहतरीन नजराने पेश कर रहे हैं. आइए अमनपसंद कश्मीरी युवाओं द्वारा घाटी में चलाए जा रहे प्रयासों से हम आपको रू-ब-रू कराते हैं.
युवा ‘टैक्टिकल अर्बनाइजेशन’ पर कर रहे हैं काम
श्रीनगर में युवाओं का अपना एक ग्रुप है. इस ग्रुप के ज्यादातर सदस्य कालेज में पढ़ने वाले छात्र और छात्राएं हैं. युवाओं के इस ग्रुप ने ‘टैक्टिकल अर्बनाइजेशन’ प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया है. ‘टैक्टिकल अर्बनाइजेशन’ विश्व के विभिन्न शहरों में बेहद पॉपुलर है लेकिन देश में गिने चुने ऐसे शहर हैं, जहां इस प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई है. इस प्रोजेक्ट को शुरू करने वाले शहरों में जम्मू-कश्मीर का श्रीनगर भी शामिल है. कश्मीर की खासियत यह है कि यहां पर इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से छात्र-छात्राओं का एक ग्रुप चला रहा है. जबकि दूसरे शहरों में इस प्रोजेक्ट पर बड़ी बड़ी संस्थाएं काम कर रही हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत फुटपाथ, पब्लिक मीटिंग प्वाइंट, पार्किंग, साइकिलिंग ट्रैक सहित अन्य जगहों को विभिन्न रंगों के पेंट से रंग कर आकर्षक बनाया जाता है. इस प्रोजेक्ट का मकसद है कि सार्वजनिक स्थानों को नई ‘फील’ देते हुए उसकी तरफ दूसरे लोगों को आकर्षित कर सकें. इसके अलावा, इन स्थानों पर आने वाले लोग एक छोटे से प्रयास से बेहत महसूस कराया जा सके. इन्हीं प्रयासों के तहत कश्मीरी युवाओं के इस दल ने शहर की कुछ सड़कों को तरह-तरह के रंगो से भरना शुरू किया है. जिसकी एक बानगी हाल में टोरंटो की सीनियर अर्बन डिजाइन रान चेन ने अपने ट्वीटर हैंडल से पेश की है.
काश मेरा शहर ऐसा हो ..
सोशल नेटवर्किंग साइट पर श्रीनगर को नया रूप देने के लिए नौजवान तरह-तरह के सुझाव दे रहे हैं. इन्हीं सुझावों में एक सुझाव ‘अनलिमिटेड कश्मीर’ ट्वीटर हैंडल से कुछ तस्वीरें पोस्ट कर दिया गया है. इस पोस्ट में दो तस्वीरें हैं. पहली तस्वीर में कुछ मकानों के बीच से दरिया की एक धारा निकलते हुई दिखाई दे रही है. दरिया की इस धारा का पानी बेहद गंदा है. किनाए एक तरफ टूटी-फूटी सी सीढ़ियां मौजूद हैं. एक नजर से देखने में ऐसा लगता है कि कुछ मकानों के बीच से एक गंदा नाला बह रहा है. वहीं इसी पोस्ट में एक दूसरी तस्वीर भी है. जिसमें दरिया की धारा का पानी साफ हो चुका है. दरिया के पानी में कश्तियां तैर रही हैं, जिसमें विदेशी पर्यटक सवार हैं. टूटी-फूटी सीढ़ियां आकर्षक प्लेटफार्म का रूप ले चुकी है. इसके अलावा, दरिया के किनारे एक रेस्त्रां है, जहां पर्यटक नाश्ता कर रहे हैं. इस पोस्ट के जरिए कश्मीर के युवाओं ने साफ कर दिया है कि वह भी चाहते हैं कि कश्मीर में अमन हो. वहां तरक्की आए. पर्यटक पर्यटन के लिए आएं, जिससे उन्हें बेहतर रोजगार मिल सके.
कश्मीर को बदनाम करने वालों को कश्मीरी युवाओं का जवाब
सोशल नेटवर्किंग साइट पर जहां एक तरफ तेजी से कश्मीर को बदनाम करने की साजिश चल रही है. वहीं दूसरी तरह कश्मीर के नौजवानों ने सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए अपना जवाब देना शुरू कर दिया है. ट्वीटर हैंडल के जरिए पोस्ट की गई तमाम तस्वीरों में बताया गया है कि किस तरह पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबों को कश्मीर में पूरा करना चाहता है. कश्मीर का युवक-युवती खुद को रोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही है. कश्मीर में अभी भी हालात ऐसे हैं कि लोग खुले मैदान में क्रिकेट के खेल का मजा ले सकें. इसके अलावा, सुरक्षाबलों और स्थानीय निवासियों के रिश्तों से जुड़ी तस्वीरों को भी पोस्ट किया गया है. उल्लेखनीय है कि यह सभी तस्वीरें किसी सरकारी संस्था ने नहीं बल्कि कश्मीर के रहने वाले स्थानीय युवाओं ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर पोस्ट की हैं.
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