मुंबई: मुंबई के मशहूर पत्रकार जे डे मर्डर केस में मकोका की एक अदालत ने माफिया डॉन छोटा राजन समेत 9 आरोपियों को दोषी को माना है, वहीं इस मामले में पत्रकार जिग्ना वोरा को बरी कर दिया गया है। अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए राजन को हत्या और हत्या की साजिश रचने के तहत दोषी ठहराया। मामले में एक अन्य आरोपी जोसेफ पॉलसन को भी कोर्ट ने बरी करने का फैसला सुनाया।कोर्ट दोषियों को आज ही फैसला सुना सकता है।
इससे पहले जे डे की बहन लीना ने अपने भाई की हत्या में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ फांसी की सजा देने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि फांसी की सजा मिलने के बाद ही उन्हें शांति मिलेगी। लीना ने कहा, ‘मेरे भाई की हत्या के बाद मेरा परिवार समाप्त हो गया। पिछले साल मेरी मां की मौत हो गई और उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए घर पर कोई नहीं था।’
बता दें, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर अडकर ने 3 अप्रैल को फैसले की तारीख 2 मई मुकर्रर की थी। इस मामले में डॉन राजेंद्र एस. निखलजे ऊर्फ छोटा राजन और मुंबई की पत्रकार जिग्ना वोरा आरोपी थे। राजन इस समय दिल्ली स्थित तिहाड़ सेंट्रल जेल में बंद है। बता दें, ज्योतिर्मय डे की 11 जून, 2011 में पवई इलाके में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी।
अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के दो साल पहले भारत डिपोर्ट होने के बाद यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया था लेकिन इस केस की प्रारंभिक जांच लोकल पुलिस, मुंबई सीपी के स्क्वॉड से जुड़े वसंत ढोबले, राकेश शर्मा के अलावा मुंबई क्राइम ब्रांच की एक विशेष टीम ने की थी। हालांकि, केस डिटेक्ट क्राइम ब्रांच ने किया था और सीबीआई को ट्रांसफर होने से पहले इस केस में दो चार्जशीट भी उसी की तरफ से ही कोर्ट में दायर की गई थी।
क्राइम ब्रांच का गवाह, सीबीआई का आरोपी
क्राइम ब्रांच की इस विशेष टीम के एक सदस्य तब के यूनिट-वन के सीनियर इंस्पेक्टर रमेश महाले भी थे। महाले के अनुसार, हमने इस केस में सतीश कालिया, अनिल वाघमारे, अभिजीत शिंदे, नीलेश शेडगे, अरुण डाके, मंगेश आगवने, सचिन गायकवाड, विनोद असरानी, दिलीप सिसौदिया, पॉल्सन जोसेफ को पहले गिरफ्तार किया। कुछ महीने बाद पत्रकार जिग्ना वोरा को भी पकड़ा। भारत डिपोर्ट होने के बाद जब सीबीआई ने छोटा राजन को जे. डे केस में अपनी कस्टडी में लिया, तो रवि रितेश्वर को भी आरोपी बना दिया।
क्राइम ब्रांच के पास जब यह केस था, तब वह क्राइम ब्रांच का गवाह था। रवि रितेश्वर को कुछ महीने पहले विदेश में गिरफ्तार कर लिया गया है, पर जे. डे मर्डर केस में मुकदमा खत्म होने तक उसका भारत प्रर्त्यपण संभव नहीं हो पाया था। इस केस में नयन सिंह बिष्ट नामक भी एक आरोपी है। वह अभी भी फरार है।
छोटा राजन के कहने पर हत्या
इस केस में हर आरोपी का महाले ने रोल भी बताया। उनके अनुसार, क्राइम ब्रांच की जांच में जो बातें सामने आई थीं, उनके मुताबिक इस केस के प्रमुख आरोपी सतीश कालिया ने छोटा राजन के कहने पर इस हत्या की साजिश रची थी। उसने छोटा राजन से बात की। जे. डे पर उसी ने गोलियां चलाईं। उसी ने इस हत्या की साजिश में अन्य आरोपी जमा किए। वह ही अनिल वाघमोरे, नीलेश शेडगे, अभिजीत शिंदे को लेकर नैनीताल गया।
जोसेफ पॉलसन नामक आरोपी से उसने ग्लोबल रोमिंग सिम कार्ड लिया। इसी सिम कार्ड से छोटा राजन से बात की। वारदात से पहले करीब तीन दिन तक जे. डे पर नजर रखी लेकिन जे. डे दिखे नहीं। 11 जून, 2011 को जब वह दिखे, तो अपने साथी द्वारा ड्राइव की गई बाइक पर पीछे बैठकर सतीश कालिया ने उनका पीछा किया और फिर दोपहर बाद पवई में जे. डे पर गोलियां चला दीं। उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई।
पत्रकार जे. डे. की हत्या: जानें टाइमलाइन
22 मई: आरोप है कि छोटा राजन ने अपने गुर्गे सतीश काल्या को फोन करके जे. डे पर हमला करने को कहा। सतीश ने सात लोगों की टीम बनाई। गाड़ी, .32 बोर की रिवॉल्वर और 24 गोलियों का इंतजाम किया। गोलियों की व्यवस्था नैनीताल के दीपक सिसौदिया ने की।
6-9 जून 2011: 6 जून से 9 जून तक इस गैंग ने डे के पवई स्थित घर के आसपास रेकी की और अपनी तैयारियां की।
11 जून 2011: गैंग ने बाइक पर और कार से डे का पीछा किया और सतीश काल्या ने डे की पीठ में पांच गोलियां उतार दीं।
1 जुलाई- 16 नवंबर 2011: कई टीवी चैनलों ने दावा किया कि राजन ने उन्हें फोन करके कहा कि उसने ही डे को मरवाया है। इस बातचीत में राजन ने कहा कि डे दाऊद और आईएसआई से मिले हुए थे और एक महिला पत्रकार को भी राजन के खिलाफ उकसाया जा रहा है। राजन ने यह भी कहा कि डे ने अपनी लिमिट क्रॉस कर दी थी।
11 दिसंबर: पुलिस ने जिग्ना वोरा के अलावा अन्य आरोपियों के खिलाफ हत्या, साजिश, हथियार और विस्फोटक रखने के जुर्म में 3055 पन्नों की चार्जशीट फाइल की। आगे की चार्जशीट में पुलिस ने कहा कि जिग्ना वोरा ने ही राजन को डे के घर का पता और गाड़ी के रजिस्ट्रेशन की जानकारी दी।
जुलाई 2012: जिग्ना वोरा को इस आधार पर जमानत मिल गई कि वह सिंगल मदर हैं और उन्हें बच्चे की देखभाल करनी है, इसके अलावा अब उन्हें हिरासत में रखे जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि जांच पूरी हो चुकी है।
25 अप्रैल 2015: इस पूरे प्लान के लिए पैसा मुहैया कराने वाले और साजिश करने वाले विनोद असरानी उर्फ विनोद चेंबूर की मौत हो गई। आरोप है कि विनोद ने ही डे की पहचान कराई थी।
जून 2015: स्पेशल मकोका कोर्ट ने जिग्ना वोरा समेत 10 लोगों पर आरोप तय किए।
अक्टूबर 2015: छोटा राजन को इंडोनेशिया के बाली से गिरफ्तार करके भारत लाया गया।
सितंबर 2016: मकोका कोर्ट ने राजन के खिलाफ हत्या और आपराधिक साजिश के मामले तय किए।
23 मार्च 2017: एक रियल एस्टेट दलाल और राजन के बीच हुई बातचीत में छोटा राजन की आवाज को एक गवाह ने पहचाना। इसी ऑडियो क्लिप में राजन जे. डे और जिग्ना वोरा के बारे में बात करता सुनाई पड़ रहा है।
30 जनवरी 2018: छोटा राजन ने इनकार किया कि उसने हत्या के बाद किसी भी गवाह को फोन किया हो। उसने जिग्ना वोरा से डे की लाइसेंस प्लेट लेने की बात भी नहीं स्वीकार की।
2 अप्रैल 2018: बचाव पक्ष ने कहा कि जिस तरह से राजन का वॉइस सैंपल लिया गया है वह सही नहीं है और टेप को सबूत नहीं माना जाना चाहिए।
4 अप्रैल 2018: कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा औ 2 मई को फैसले की तारीख सुनिश्चित किया।
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