सोलर तूफान मचाएगा तबाही, बंद हो जाएंगे इंटरनेट-मोबाइल, जानें भारत पर क्या होगा असर?

सोलर तूफान मचाएगा तबाही, बंद हो जाएंगे इंटरनेट-मोबाइल, जानें भारत पर क्या होगा असर?नईदिल्ली: पिछले एक हफ्ते से कुदरत मानों रूठी हुई है. अभी आंधी-अंधड़, तूफान और बारिश का खतरा देश के कई राज्यों पर मंडराया हुआ है. अब इसके बाद एक और कुदरती कहर की चेतावनी जारी हुई है और यह कहर आसमान से टूटने वाला है. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के मुताबिक, धरती पर इस समय सोलर तूफान का खतरा मंडरा रहा है. इसकी वजह से अगले 24 घंटे दुनिया के लिए भारी पड़ सकते हैं. वैज्ञानिकों ने बताया कि एक सोलर तूफान धरती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है और अगले 24 घंटे में यह धरती से टकरा सकता है. अगर यह तूफान धरती से टकराता है तो यह दुनिया में एक भारी तबाही मचा देगा. इस तूफान का असर दुनिया के किन हिस्सों में होगा, इसे लेकर अभी पूरी तरह से जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन माना जा रहा है कि दुनिया के कई देश इससे प्रभावित हो सकते हैं, जिनमें भारत का भी कुछ हिस्सा शामिल हो सकता है.

भारत में होगा आंशिक असर
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस सोलर तूफान को 5 श्रेणियों में बांटा है. जी-1 से लेकर जी-5 तक बांटे गए इस तूफान की जी-5 श्रेणी सबसे ज्यादा खतरनाक बताई जा रही है. जी-1 का असर सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन पर पड़ेगा. भारत में इस तूफान का आंशिक असर रहेगा. सबसे ज्यादा असर पश्चिमी देशों में देखने को मिलेगा. 

अंतरिक्ष मामलों की Space.com में छपी खबर के मुताबिक, अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने बताया है कि अगले 24 से 48 घंटे के धरती के ऊपर बनी वायुमंडल की परत में एक बड़ा छेद हो जाएगा, जिससे सूरज से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलेगी. इस ऊर्जा से अतरिक्ष में घूम रहे सैटेलाइट्स काम करना बंद कर देंगे. सैटेलाइट्स ठप होने से धरती पर मोबाइल, इंटरनेट जैसी सुविधाएं ठप हो जाएंगी.

नासा द्वारा जारी की गई तस्वीरों में वैज्ञानिकों ने बताया है कि अंतरिक्ष में एक गैस का तूफान बन रहा है. इस तूफान से धरती के सोलर सिस्टम में एक बड़ा छेद हो जाएगा. वायुमंडल का लगभग आधा हिस्सा इस तूफान की चपेट में आकर नष्ट हो जाएगा. वायुमंडल की परत नष्ट होने से बड़े पैमाने पर सूरज की ऊर्जा सीधी धरती पर आएगी और यहां का पूरा सिस्टम गड़बड़ा जाएगा.

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*