कर्नाटक: कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा बनने के बाद सत्ता का सियासी सस्पेंस गहराता जा रहा है. एक तरफ 104 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस(78 सीटें) और जेडीएस(38) ने गठबंधन बनाकर सत्ता पर दावेदारी कर दी है. दोनों ही तरफ के नेताओं ने गवर्नर से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा किया है. कमोबेश ऐसी ही स्थिति का सामना एक दशक पहले कर्नाटक के सियासी गलियारे में देखने को मिल चुका है.
2008 में भी कुल 224 सीटों में से बीजेपी 110 सीटें हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी लेकिन बहुमत के जादुई आंकड़े(113) से तीन सीटें पीछे रह गई थी. उस परिस्थिति से निपटने के लिए और बहुमत पाने के लिए पार्टी ने ‘ऑपरेशन लोटस’ फॉर्मूले का इस्तेमाल किया. उस वक्त इस विधानसभा की तर्ज पर ही कांग्रेस को 79 सीटें मिली थीं, जबकि जेडीएस 28 सीटों पर सिमट गई थी. उस दौरान बीजेपी ने इस फॉर्मूले के तहत जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए फुसलाया था. निर्दलीय विधायकों के साथ भी संपर्क साधा गया. नतीजतन बीजेपी को अपेक्षित बहुमत मिल गया. इस बार स्थितियां इस मामले में भिन्न हैं क्योंकि कांग्रेस और जेडीएस ने हाथ मिला लिया है. नतीजतन हॉर्स ट्रेडिंग(दल-बदल) की स्थितियों से इनकार नहीं किया जा सकता. यानी कि जिसकी तरफ से सबसे आकर्षक ऑफर होगा, उस तरफ ही टूटने वाले विधायक जाएंगे.
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