हैदराबाद: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट नेता (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी की दो तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. एक तस्वीर में येचुरी सिर पर कलश उठाए हुए तो दूसरी में सिर पर फूल रखे हुए दिख रहे हैं. इस तस्वीर के वायरल होने के पीछे की वजह यह है कि वामदलों के सदस्यों के लिए पार्टी की ओर से हिदायत है कि वे किसी भी धार्मिक कार्यों या मंदिर के पूजा आदि में शामिल न हो.
माकपा में इस वक्त सीताराम येचुरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. ऐसे में उनका धार्मिक उत्सव में इस तरह से हिस्सा लेने पर लोग सवाल उठा रहे हैं.
बोनालू उत्सव की है यह तस्वीर
सिर पर कलश उठाए हुए तस्वीर भले ही लोग सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से शेयर कर रहे हैं, लेकिन कई लोगों को यह नहीं पता है कि आखिर ये कहां की है. आपको बता दें कि यह तस्वीर हैदराबाद की है. दरअसल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में ‘बोनालू’ उत्सव मनाया जाता है, येचुरी इसी में हिस्सा लेने पहुंचे थे.
अल्लादा मसम (जुलाई-अगस्त) के दौरान हैदराबाद और उसके जुड़वां शहर सिकंदराबाद के कुछ हिस्सों में बोनालू मनाया जाता है. आसादा यात्रा उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, यह दोनों शहरों में विभिन्न स्थानों पर तीन अलग-अलग रविवार को मनाया जाता है.
मालूम हो कि वामदलों का गढ़ माने जाने वाले पश्चिम बंगाल के कई नेता भी दूर्गा पूजा और काली पूजा करते हुए देखे जाते रहे हैं. हाल ही में मीडिया में खबर आई थी कि केरल में वामदल की सरकार ‘रामायण परायण’ कराने वाली है. हालांकि वाम नेता वृंदा करात ने इसका खंडन किया था और आरोप लगाया था कि बीजेपी और आरएसएस के लोग बदनाम करने के लिए इस तरह की अफवाह उड़ाते रहते हैं.
येचुरी ने महागठबंधन से किया इनकार
बोनालू उत्सव में हिस्सा लेने के बाद सीताराम येचुरी ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों का महागठबंधन बनाए जाने की संभावना से इनकार किया. येचुरी ने कहा कि इस तरह का गठबंधन लोकसभा चुनावों के नतीजे की घोषणा के बाद ही हो सकता है.
उन्होंने कहा, ‘मेरा यह मानना है कि भारत में चुनाव के पहले कोई भी महागठबंधन बनाना संभव नहीं है, क्योंकि हमारा देश विविधताओं वाला है.’ उन्होंने कहा, ‘इस बार भी आप वैसा ही देखेंगे , जैसा 1996 में देखने को मिला था जब संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई थी और 2004 में जब संप्रग -1 सरकार बनी थी.’
येचुरी ने कहा कि देश के लोग केंद्र की ‘जनविरोधी सरकार’ से छुटकारा पाना चाहते हैं लेकिन ‘ वैकल्पिक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक सरकार’ लोकसभा चुनाव के बाद ही बन सकती है.
माकपा महासचिव ने कहा कि क्षेत्रीय धर्मनिरपेक्ष ताकतें भी आम चुनाव के बाद एकसाथ आएंगी. हालांकि, उन्होंने वैकल्पिक धर्मनिरपेक्ष मोर्चा का नाम नहीं बताया. यह पूछे जाने पर कि क्या माकपा वैकल्पिक धर्मनिरपेक्ष मोर्चा का हिस्सा बनेगी तो उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी ने केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दिया था. हमने ऐसा 1989, 1996 और 2004 में किया था.’
यह पूछे जाने पर कि अगर तृणमूल कांग्रेस को विपक्षी मोर्चा में शामिल किया गया तो क्या माकपा उसका हिस्सा बनेगी तो इसपर उन्होंने कहा, ‘तृणमूल और भाजपा में गुप्त तालमेल है और तृणमूल की भाजपा से लड़ने की विश्वसनीयता नहीं है.’
कोलकाता में इस साल एक जनसभा में हिस्सा लेने के लिये विपक्षी नेताओं को बुलाने की ममता बनर्जी की घोषणा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘कोई भी ऐसी पार्टी पर भरोसा नहीं करता है, जिसने खुद राज्य में लोकतंत्र की हत्या की है.’ उन्होंने भाजपा – आरएसएस की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि वे अगले आम चुनाव से पहले ‘हिंदू सांप्रदायिकता’ के मुद्दे को आगे बढ़ा रहे हैं.
Bureau Report
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