गुजरात: बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने रविवार को गुजरात की कर्णावती यूनिवर्सिटी में यूथ पार्लियामेंट 2018 के एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए अहमदाबाद का नाम कर्णावती करने की मांग कर इस मुद्दे को फिर से हवा दी है. इससे एक साल पहले वड़ोदरा में भारत विकास परिषद के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के दौरान भी उन्होंने इस मांग को उठाया था. पिछले दिनों मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन किए जाने के बाद शहरों के नाम बदलने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है. इसी कड़ी में इलाहाबाद का नाम प्रयाग किए जाने की मांग तेज हो रही है.
शहरों के नाम में परिवर्तन के लिहाज से यदि देखा जाए तो सबसे ताजा उदाहरण गुरुग्राम का है. 2016 में हरियाणा के इस शहर का नाम गुड़गांव से गुरुग्राम कर दिया गया.
आलोचकों का कहना है कि शहरों के नाम बदलने की यह कवायद संघ की उस सोच का हिस्सा है जिसके तहत स्थानों का नाम उनके अतीत और संस्कृति के आधार पर होना चाहिए. इसीलिए संघ पहले से ही कई शहरों को उनके ऐतिहासिक नामों से ही संबोधित करता है. आलोचक इसको ‘विदेशी’ प्रभाव के खात्मे और भारतीय इतिहास को नए सिरे से व्याख्यायित किए जाने के संदर्भ से भी जोड़कर देखते हैं.
हैदराबाद और औरंगाबाद
इस लिहाज से यदि देखा जाए तो अहमदाबाद का नाम कर्णावती रखने की मांग हिंदू राजा करण देव के नाम के आधार पर की जा रही है. कहा जाता है कि 11वीं सदी में उन्होंने ही इस शहर की स्थापना की थी. इसी तर्ज पर महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर का नाम शंभाजी नगर और हैदराबाद का नाम देवी भाग्यलक्ष्मी के आधार पर भाग्यनगर रखने की मांग हो रही है. शंभाजी छत्रपति शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र थे. मुगलों ने पकड़कर उनकी हत्या कर दी थी. शिवसेना लंबे समय से औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग कर रही है. 1990 के दशक में जब महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी सरकार थी, तब इसकी औपचारिक प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी लेकिन बात उससे आगे नहीं बढ़ पाई. 1996 में इसी सरकार के दौरान बंबई (बांबे) का नाम स्थानीय देवी के आधार पर मुंबई किया गया था.
भोपाल से भोजपाल की मांग
2011 में मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने राज्य की राजधानी भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल करने का आग्रह केंद्र से किया था. दरअसल उस साल राजा भोजपाल के सिंहासनारोहण के एक हजार साल पूरा होने के अवसर पर ऐसा किया किए जाने की मांग की गई थी. लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने इसकी सहमति नहीं दी थी.
बंगलौर बना बेंगलुरू
हालांकि बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए सरकार जब 2014 में सत्ता में आई तो उसके तत्काल बाद बंगलौर का नाम बेंगलुरू करने की औपचारिक सहमति दी गई. इसके साथ ही कर्नाटक के 11 शहरों के नाम भी बदले गए. एनडीए सरकार ने ही दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति डॉएपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रख दिया.
राज्यों के नामों में बदलाव
राज्यों के नामों में परिवर्तन के लिहाज से सबसे ताजा उदाहरण ओडिशा और पुडुचेरी का है. 2011 में औपचारिक रूप से इनके अंग्रेजी स्पेलिंग में बदलकर इनका नाम उड़ीशा से ओडिशा और पोंडिचेरी का पुडुचेरी किया गया. इसी की तर्ज पर केरल का नाम बदलकर केरलम किए जाने की मांग उठ रही है.
Bureau Report
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