पनामा पेपर्स: 1140 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति मिली, 16 भारतीयों पर मुकदमा दर्ज

पनामा पेपर्स: 1140 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति मिली, 16 भारतीयों पर मुकदमा दर्जनईदिल्ली: पनामा पेपर्स लीक मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. मामला सामने आने के दो साल बाद वित्त मंत्रालय ने कहा है कि पनामा की लॉ फर्म मोसैक फोनसेका के जरिए ऑफशोर कंपनी बनाने वाले भारतीयों की 1,140 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति का पता लगाया गया है. हालांकि, मोसैक फोनसेका अब बंद हो चुकी है. सरकार ने ये भी बताया है कि इस सिलसिले में 16 भारतीय विभिन्न शहरों में अदालती कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. आपको बता दें, मोसैक फोनसेका के दस्तावेज लीक होने के बाद ही पनामा पेपर्स मामला सामने आया था.

अब इन मामलों का ब्योरा सामने आने के बाद जांच की स्थिति का पता चला है. विदेशी संस्थाओं द्वारा भारतीय अधिकारियों को इन ऑफशोर कंपनियों की होल्डिंग्स और एसेट्स के बारे में जानकारी देने के बाद ये सभी मामले दर्ज किए गए. समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट  मुताबिक, पनामा पेपर लीक मामले में पहले मुकादम 9 दिसंबर 2016 को कोलकाता की अदालत में दर्ज कराया गया. इसके अलावा अहमदाबाद, बंगलुरु और मुंबई में भी मुकदमे दर्ज किए गए.

कितनी हो सकती है सजा 
इन मामलों में से ज्यादातर आयकर कानून की धारा 277 (गलत बयान देने) और धारा 276 (टैक्स वसूली से बचने के लिए प्रापर्टी का ट्रांसफर) के तहत दर्ज किए गए हैं. दोनों धाराओं में कुछ महीनों से लेकर अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है. समाचार पत्र के अनुसार पनामा पेपर्स में जिन भारतीयों के नाम हैं और जिन पर अब अदालती कार्रवाई चल रही है, उनमें बलराम लोढ़ा, भारमल लोढ़ा, राजेंद्र पाटिल, अनुराग केजरीवाल और धवल पटेल शामिल हैं. 

यह है पूरा मामला
पनामा पेपर्स के नाम से लीक हुए दस्तावेजों को सामने लाने में मुख्य भूमिका अमेरिका स्थित एक एनजीओ खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय महासंघ (ICIJ) की है. आईसीआईजे ने दस्तावेजों की गहरी छानबीन की. आईसीआईजे को किसी अज्ञात सूत्र ने इन दस्‍तावेजों को उपलब्‍ध कराया था. जांच में कई फिल्मी और खेल जगत की हस्तियों समेत करीब 140 लोगों की संपत्ति का भी खुलासा हुआ था. भारत से भी कुछ लोगों के नामों का जिक्र पनामा पेपर्स में किया गया था.

40 साल का डेटा
जांच में जो डेटा सामने आया था वह 1977 से लेकर 2015 तक का था. जर्मनी के एक अखबार के मुताबिक, इस पेपर लीक से 2.6 टेराबाइट डेटा सामने आया है जो लगभग 600 डीवीडी में आ सकता है. इन लोगों ने टैक्स हैवन कंट्रीज में पैसा इन्वेस्ट किया. शैडो कंपनियां, ट्रस्ट और कॉरपोरेशन बनाए और इनके जरिए टैक्स बचाया.

Bureau Report

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