मुस्लिम बच्ची ने माथे पर बिंदी लगाई तो मदरसे से निकाला, पिता ने फेसबुक पर बयां किया दर्द

मुस्लिम बच्ची ने माथे पर बिंदी लगाई तो मदरसे से निकाला, पिता ने फेसबुक पर बयां किया दर्दकेरल: उत्तरी केरल के एक मदरसे से बच्ची को निकाले जाने का मामला सामने आया है. इस बच्ची का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने एक शॉर्ट फिल्म की शूटिंग के दौरान माथे पर चंदन की बिंदी लगाई थी. इस बारे में जैसे ही उसके पिता ने एक फेसबुक पोस्ट लिखी तो वह वायरल हो गई. गुरुवात की रात उमर मलयिल नाम के शख्स ने एक फेसबुक पोस्ट लिखी. उन्होंने लिखा कि मेरी बेटी ने एक शॉर्ट फिल्म की शूटिंग के दौरान माथे पर चंदन पोत्तु (चंदन के पेस्ट की बिंदी) लगाया. इस कारण उसे मदरसे से निष्कासित कर दिया गया.

उमर ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, पढ़ाई लिखाई के साथ साथ हिना सिंगिंग और एक्टिंग का भी शौक रखती है. पढ़ाई में वह स्कूल और मदरसे में हमेशा प्रथम आती है. मदरसा द्वारा लिए गए पब्लिक एग्जाम में उसने पांचवीं रैंक हासिल की. अब उसे साल के बीच मदरसे से  निकाल दिया गया है, क्योंकि उसने एक फिल्म की शूटिंग में अपने माथे पर बिंदी लगाई. अब हम क्या करें. उमर ने मदरसा प्रशासन पर तंज कसते हुए कहा, वैसे हम भाग्यशाली हैं, कि उन्होंने इसके लिए उसे और कड़ी सजा नहीं सुनाई.

उमर ने जैसे ही ये पोस्ट फेसबुक पर लिखी, वह वायरल हो गई. उन्हें समर्थन में बहुत सारे पोस्ट मिले, लेकिन कुछ यूजर ऐसे भी थे, जिन्होंने इसके लिए उनकी आलोचना भी की. कई  लोगों ने इस पोस्ट को लिखने के लिए धन्यवाद दिया. वहीं कई लोगों ने इसे इस्लाम की आलोचना से जोड़ दिया.

हालांकि खुद उमर मलयिल ने इस मामले में कोई भी सार्वजनिक बयान देने से मना कर दिया. अपनी नई पोस्ट में उन्होंने अपने आलोचकों को जवाब दिया. उन्होंने अपनी नई पोस्ट में कहा, जिन लोगों को ये लगता है कि मछली जाल में फंस गई है. उन्हें इस पर जश्न मनाने की जरूरत नहीं है. ये एक ग्लोबल इश्यू नहीं है. इसे धार्मिक मुद्दा बनाकर लाभ लेने की जरूरत नहीं है. ये एक स्थानीय मुद्दा है. मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो अपनी समुदाय के खिलाफ हूं. मैं 100 फीसदी आस्तिक हूं. मैं अपने धर्म से प्यार करता हूं. इसके साथ ही मैं दूसरे धर्म का भी सम्मान करता हूं. मुझे मानवता से प्यार है.

जो लोग मुझे ट्रोल कर रहे हैं या फिर मुझे गालियां दे रहे हैं. उन्हें इस मामले को पूरी तरह जान लेना चाहिए. उमर ने ये भी सवाल उठाया कि उनकी बेटी के साथ ही इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है. जबकि उसके साथ की दूसरी लड़कियां जो स्कूल में पढ़ रही हैं, वह पढ़ाई के साथ साथ दूसरे सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेती हैं. क्या हमारे बच्चे पढ़ाई और इस तरह की गतिविधियों में एक साथ हिस्सा नहीं ले सकते.

Bureau Report

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