सूरत का ‘अंडरग्राउंड गारबेज सिस्टम’ हल कर सकता है दिल्ली के कचरे की समस्या

सूरत का 'अंडरग्राउंड गारबेज सिस्टम' हल कर सकता है दिल्ली के कचरे की समस्यानईदिल्ली : देश में दिल्ली जैसे महानगरों में कचरे निपटना एक बड़ी समस्या बन गई है. लेकिन हीरे की नगरी के रूप में पहचाने जाने वाला गुजरात का सूरत शहर इन सभी महानगरों को रास्ता दिखा सकता है. यहां  कचरे से निपटने के लिए ऐसा सिस्टम विकसित किया गया है, जो इस लगातार विकराल होती समस्या से निजात दिला सकता है. सूरत नगर निगम ने इस सिस्टम के तहत शहर में 43 अंडरग्राउंड बॉक्स लगाए हैं. इनमें एक बार में 1.5 टन कचरा समा सकता है. नगर निगम ने यह पहल स्मार्ट सिटी अभियान के तहत की है. इन गारबेज बॉक्स में एक सेंसर भी लगा है. जैसे ही ये बॉक्स 70 फीसदी तक भरता है, यहां से कंट्रोल रूम को सिग्नल जाता है कि इस बॉक्स को जल्द से जल्द खाली करें.

इन अंडरग्राउंड बॉक्स को फुटपाथ पर लगाया जा सकता है. कचरा डालना के लिए इसमें दो हिस्से हैं. एक रास्ते से आम लोग कचरा डाल सकते हैं, जबकि दूसरे हिस्से का उपयोग नगर निगम के लिए रहेगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सूरत नगर निगम के कमिश्नर एम थेन्नारासन का कहना है कि हम ऐसे ही 75 बॉक्स लगाएंगे. हमने इसे पहले छोटे एरिया में शुरू किया, अब इसकी दूसरे क्षेत्रों से भी मांग आ रही है. एक बार इसके रिजल्ट और लोगों की प्रतिक्रियाएं जान लें उसके बाद इसे दूसरे क्षेत्र में लगाया जाएगा.

सूरत नगर निगम कमिश्नर के डिप्टी सीवाई भट्ट कहते हैं कि इस सिस्टम का सबसे अच्छा पहलू ये भी है कि इस सिस्टम से कचरे से फैलने वाली दुर्गंध से भी निजात मिलती है.

आंकड़ों के अनुसार, सूरत रोजाना 2100 टन कचरा पैदा होता है. इसमें 800 टन कचरा प्रोसेस होता है. अधिकारियों के मुताबिक वह इस सिस्टम से 2000 टन कचरा प्रोसेस कर सकेंगे. सूरत में निगम के पास 425 वाहन हैं जो हर घर से कचरा एकत्रित करते हैं.

तब सीएम रहे मोदी ने की थी योजना की शुरुआत
सूरत में 57 मिलियन लीटर सीवेज से 40 मिलयन उपयोग हेतु पानी बनाया जाता है. इस पानी को सूरत के पास इंडस्ट्रियल एरिया को भेजा जाता है. इसमें प्रिंटिंग मिल्स में किया जाता है. सूरत में इसकी शुरुआत 2007 में तल्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने की थी. उन्होंने सिंगापुर में ऐसा प्लांट देखा था, इसी आइडिया पर उन्होंने सूरत में काम शुरू कराया था.

Bureau Report

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