अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी हमेशा किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बना रहता है. फिलहाल, AMU में आरक्षण को लेकर बहस छिड़ी हुई है. वर्तमान में AMU में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है. SC और ST को आरक्षण नहीं मिलने को लेकर उत्तर प्रदेश एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को नोटिस भेजा है. आयोग ने पूछा है कि AMU में एससी और एसटी को आरक्षण क्यों नहीं मिल रहा है?
AMU अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं
नोटिस में कहा गया है कि AMUको अभी तक माइनॉरिटी यूनिवर्सिटी (अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय) का दर्जा नहीं मिला है. यह एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है. सेंट्रल यूनिवर्सिटी होने की वजह से यहां भी आरक्षण का प्रावधान लागू होता है. इसलिए, AMU में भी एससी और एसटी को आरक्षण मिलना चाहिए. बृजलाल ने कहा है कि एएमयू अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहा है. नोटिस का जवाब देने के लिए AMU प्रशासन को 8 अगस्त तक का वक्त दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया है
यह मामला तब फिर से चर्चा में आया जब सांसद सतीश कुमार गौतम ने AMU के वाइस चांसलर को चिट्ठी लिखकर कहा कि यूनिवर्सिटी में एससी और एसटी के लिए आरक्षण को लागू किया जाए. इस बीच केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है जिसमें कहा गया है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है.
रमाशंकर कठेरिया ने AMU के सह कुलपति से चर्चा की
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया आरक्षण के सिलसिले में बात करने के लिए 3 जुलाई को अलीगढ़ पहुंचे. अलीगढ़ में रामशंकर कठेरिया ने जिले के अफसरों के साथ AMU में आरक्षण को लेकर चर्चा की. इस बैठक में एएमयू के सह कुलपति प्रोफेसर तबस्सुम शहाब भी शामिल थे. बता दें, रामशंकर कठेरिया ने हाल ही में कहा था कि JNU और जामिया विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं, इसके बावजूद इन दोनों संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान नहीं है. छात्रों में इसको लेकर काफी आक्रोश है. उन्होंने कहा था कि पूरे मामले पर सरकार और आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है.
Bureau Report
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