नईदिल्ली: यौन शोषण के शिकार लड़के और लड़कियों को भी अब मुआवजा मिल सकेगा. ऐसे मामले पॉक्सो के तहत आते हैं, लेकिन इसमें मुआवजे का प्रावधान नहीं है. लेकिन अब लड़के और लड़कियों दोनों को मुआवजा देने के लिए कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा, जब तक नियम नहीं बन जाते तब तक एनएएलएसए की पीड़ित मुआवजा योजना पोक्सो मामलों में भी अपनाई जाए. जस्टिस मदन बी लोकूर, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून के तहत केन्द्र ने अभी तक ऐसे नियम तैयार नहीं किये हैं, जिनके आधार पर अवयस्क पीड़ितों के मामलों में विशेष अदालतें मुआवजा दे सकें.
बैंच ने कहा कि यौन हिंसा और दूसरे अपराधों की पीड़ित महिलाओं के लिये एनएएलएसए की मुआवजा योजना और दिशानिर्देश दो अक्तूबर से पूरे देश में लागू होंगे. इस योजना को कोर्ट पहले ही स्वीकार कर चुका है. पीठ ने कहा, ‘हमारी यह राय है कि एनएएलएसए की मुआवजा योजना केन्द्र सरकार द्वारा नियमों को अंतिम रूप दिये जाने तक यौन हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने के मामले में विशेष अदालतों (पोक्सो कानून के तहत) के लिये दिशानिर्देश के रूप में काम करेंगे.’ पीठ ने कहा, ‘विशेष अदालत यौन हिंसा के पीड़ित अवयस्क को अंतरिम मुआवजा देते समय पोक्सो कानून, जो लैंगिक रूप से तटस्थ है, के प्रावधानों और मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखेंगी.’
एनएएलएसए की योजना के तहत देश के किसी भी हिस्से में सामूहिक बलात्कार की पीड़ित को न्यूनतम पांच लाख और अधिकतम दस लाख रूपए मुआवजा मिलेगा. इसी तरह, बलात्कार और अप्राकृतिक यौन हिंसा की पीड़ित को कम से कम चार लाख और अधिकतम सात लाख रुपए बतौर मुआवजा मिलेगा. इस योजना के अनुसार तेजाब हमले में कुरूप होने के मामले के पीड़ित को कम से कम सात लाख और अधिकतम आठ लाख रुपए मुआवजा मिलेगा. तेजाब के हमले में 50 फीसदी तक घायल होने की स्थिति में मुआवने की न्यूनतम राशि पांच लाख और अधिकतम आठ लाख रुपए निर्धारित की गई है.
शीर्ष अदालत ने विशेष अदालतें से कहा कि वे इस तथ्य पर भी विचार करें कि यौन हिंसा के पीड़ित अवयस्कों को दी गयी अंतरिम मुआवजे की रकम का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए. पीठ ने निर्देश दिया कि एनएएलएसए की योजना और यह आदेश सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास भेजे जाएं ताकि वे इसे निचली अदालतों और जिला या राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास भेज सकें. पीठ ने इस योजना और शीर्ष अदालत के आदेश का समुचित प्रचार करने का भी आदेश दिया.
इससे पहले, न्यायमित्र की भूमिका निभा रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने कहा कि यौन हिंसा के पीड़ित अवयस्कों के लिये मुआवजे के मुद्दे पर विचार के लिये नालसा की बैठक बुलाई गई थी. नालसा ने पीठ से कहा कि पोक्सो कानून में संशोधन किया जाना था और इसे संसद के अगले सत्र में पेश किये जाने की उम्मीद है. पीठ ने महिला और बाल विकास मंत्रालय का प्रतिनिधित्व कर रहीं अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद से इस बारे में जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि इसमें संशोधन का प्रस्ताव है और इन संशोधन के बाद ही नियम तैयार किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि एनएएलएसए की योजना में सुधार किया जाये ताकि यौन हिंसा के शिकार बाल पीड़ितों पर भी यह लागू की जा सके.
Bureau Report
Leave a Reply