सुसाइड सिटी बन रहा कोटा, डॉक्टर-इंजीनियर बनाने की चाहत बुझा रही घरों के चिराग

सुसाइड सिटी बन रहा कोटा, डॉक्टर-इंजीनियर बनाने की चाहत बुझा रही घरों के चिरागकोटा: कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के स्टूडेंट्स को डॉक्टर बनाने वाले शहर कोटा में लगातार बढ़ रहे स्टूडेंट्स के सुसाइड के मामले चिंता का विषय बना हुआ है. कोचिंग हब के नाम से मशहूर हुआ कोटा धीरे धीरे सुसाइ सिटी का रूप लेता जा रहा है. दरअसल, यहां के कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड के मामले बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 5 दिनों में 3 कोचिंग स्टूडेंट्स द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद से ही कोटा में लोगों के बीच डर का माहौल है. 

18 दिसंबर को कोटा के महावीर नगर इलाके के एक होस्टल में रहकर मेडिकल की तैयारी कर रहे जम्मू कश्मीर के संजीव कुमार ने देर रात खुद को अपने होस्टल के कमरे में ही फांसी लगा ली थी. वहीं 24 दिसंबर को कोटा के लैंडमार्क सिटी कुन्हाड़ी इलाके के एक होस्टल में रह कर मेडिकल की तैयारी कर रही छात्रा दिशा सिंह ने भी अपने कमरे में खुद को फांसी लगा ली थी. दिशा यूपी के खुशी नगर इलाके की रहने वाली थीं. जिसके बाद 25 दिसंबर को कोटा के महावीर नगर इलाके में रह कर आईआईटी की तैयारी कर रहे छात्र जितेश कुमान ने भी यही रास्ता अपनाते हुए खुदकुशी कर ली. 

लगातार इस तरह की बढ़ रही घटनाओं के चलते परिजनों में अपने बच्चों को कोटा नहीं भेजने की आवाज भी मुखर होने लगी है. यूपी की रहने वाली दिशा की बहन भी कोटा में रहकर पिछले दो साल से मेडिकल की तैयारी कर रही हैं और अब दिशा के सुसाइड करने के बाद उसके पिता दिशा की बहन को कोटा में रहकर तैयारी नहीं करने देना चाहते और उसे वे अपने साथ यूपी वापस ले जाने का फैसला कर लिया है. 

आपको बता दें, कोटा में करीब 2 लाख छात्र हर साल मेडिकल और इंजीनियरिंग में अपना भविष्य बनाने के लिए आते हे. जिनमे देश के हर हिस्से के बच्चे होते हैं ऐसे में इन बच्चो पर स्वाभाविक तौर पर पढ़ाई का, कोचिंग का, अपने परिवार से अलग होने का दबाव भी होता है. 

स्टूडेंट क्यों करते हैं सुसाइड
कोचिंग स्टूडेंटन्स की खुदखुशी की वजह जो सबसे बड़ी है वो स्ट्रेस मानी जाती है. वो स्ट्रेस जो उन पर कोचिंग संस्थानों की वजह से हावी होता है. पढ़ाई का दबाब इन कोचिंग स्टूडेंटन्स पर इतना होता हे की ये मौत का रास्ता चुन लेते हैं.

सुसाइड पर है गाइडलाइन पर नहीं दिखाई जाती गंभीरता 
ऐसा नहीं है कि कोचिंग स्टूडेंट्स की मौतों पर कभी कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई हो. इन मामलों पर प्रशासन हो या फिर सरकार, सड़क से लेकर संसद तक में आवाज उठाई गई है और कोटा में कोचिंग स्टूडेंटन्स की खुदकुशी के लिए गाइडलाइन बनाई गई लेकिन बड़ी बात ये है कि इन गाइडलाइन की पालना नहीं हुई. उन पर गंभीरता नहीं दिखाई गई और नतीजा ये हुआ कि कोटा में लगातार ये मामले बढ़ने लगे. 

 

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