नईदिल्ली: साल 2018 शेयर मार्केट के लिए काफी उतार चढ़ाव वाला रहा. इस खबर में हम आपको तीन चीजें बताएंगे. पहला साल 2018 में वे कौन से सेक्टर रहे जहां सबसे ज्यादा पैसा डूबा. दूसरा, 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अगर BJP जीती तो शेयर मार्केट में कितना रिटर्न मिल सकता है? और तीसरा वो कौन से शेयर हैं जिन पर साल 2019 में दांव लगा सकते हैं. इन सवालों के लिए ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने बात की हेलियस कैपिटल के समीर अरोड़ा से.
2018 में किन सेक्टर्स ने डुबोया?
इस साल लार्जकैप में करीब 4% की गिरावट रही, जबकि मिडकैप करीब 15-20% और स्मॉलकैप में 31% की गिरावट रही. हेलियस कैपिटल के समीर अरोड़ा के मुताबिक इस साल बाज़ार में करेक्शन जरूर आया लेकिन निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि भारत की इकोनॉमी अच्छा कर रही है और इससे शेयर मार्केट को आगे भी मजबूती मिलेगी.
2018 कहां डूबा कितना पैसा?
सेक्टर | रिटर्न |
रियल्टी | -33% |
ऑटो | -24% |
मेटल | -22% |
PSU बैंक | -19% |
पावर | -18% |
तेल-गैस | -17% |
2019 में BJP जीती तो क्या होगा असर?
हाल के समय में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें से 3 राज्यों में कांग्रेस की सरकार आई. समीर अरोड़ा के मुताबिक इन नतीजों के बाद मार्केट पर असर पड़ा लेकिन 2019 के मार्केट से शॉक वैल्यू खत्म हो गई. अगर 2019 में BJP की सरकार दोबारा बनती है तो मार्केट का लॉन्ग टर्म आउटलुक तो बेहतर रहेगा ही बल्कि नतीजों के तुरंत बाद करीब 4 से 5% की तेजी मार्केट में आ सकती है. वहीं अगर BJP की हार होती है तो मार्केट पर बहुत ज्यादा निगेटिव असर नहीं होगा. समीर अरोड़ा मानते हैं कि बाजार BJP की हार और जीत के सेंटीमेंट्स के लिए तैयार है, इससे ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं.
2019 में कहां करें निवेश?
समीर अरोड़ा के मुताबिक इस समय दो सेक्टर कंज्यूमर और फाइनेंशियल की डिमांड बनी हुई है. दोनों ही सेगमेंट आगे भी डिमांड में बने रहेंगे और इनमें नियमित निवेश किया जा सकता है. यहां तक कि उन्होंने कहा कि दुनिया के दिग्गज निवेशक बॉरेन बफे भी इन्हीं सेगमेंट पर बुलिश हैं. समीर अरोड़ा के मुताबिक अगर बाजार में थोड़ा बहुत करेक्शन आए भी तो पैसे नहीं निकालने और न ही SIP बंद करनी है. बस पैसा नियमित तौर पर निवेश करना है.
क्या मंदी आने वाली है?
हेलियस कैपिटल के समीर अरोड़ा का मानना है कि इस समय भारतीय से ज्यादा अमेरिकी बाजारों पर नजर है. अमेरिकी बाजार करीब 20% तक टूट चुके हैं. अमेरिकी बाजारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, बस थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है. इसलिए इसे ग्लोबल बाजारों का करेक्शन कह सकते हैं मंदी नहीं.
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