राष्ट्रपति पद की रेस में दोबारा शामिल होना चाहते थे कलाम, नहीं मिला कांग्रेस का साथ : किताब में दावा.

राष्ट्रपति पद की रेस में दोबारा शामिल होना चाहते थे कलाम, नहीं मिला कांग्रेस का साथ : किताब में दावा.नईदिल्ली: एक नई किताब में दावा किया गया है कि पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 2012 में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के समर्थन से राष्ट्रपति पद की रेस में दोबारा शामिल होना चाह रहे थे, लेकिन जब उन्होंने देखा कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां उनका समर्थन नहीं कर रहीं तो उन्होंने इस रेस से खुद को अलग कर लिया. इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी को भारत का 13वां राष्ट्रपति चुना गया. प्रणब ने प्रतिभा पाटिल की जगह ली थी. प्रतिभा 2007 से 2012 तक राष्ट्रपति पद पर रहीं.

इतिहासकार राजमोहन गांधी ने अपनी किताब ‘मॉडर्न साउथ इंडिया: ए हिस्ट्री फ्रॉम दि सेवेन्टीन्थ सेंचुरी टु आवर टाइम्स’ में लिखा है, ‘2007 में राष्ट्रपति के तौर पर कार्यकाल खत्म होने के बाद भारत की पुरातन संस्कृति के प्रति कलाम का उत्साह, कुछ हिंदू धार्मिक संगठनों के नेताओं की खुले दिल से की गई तारीफ और भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए किए गए उनके पहले के काम ने उन्हें ‘हिंदू भारत’ का पसंदीदा मुस्लिम बना दिया.’

संख्याबल की कमी से वाकिफ कलाम चुनाव में खड़े नहीं हुए
राजमोहन ने लिखा है,‘बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ राजनीतिक पार्टियों ने 2012 में कलाम के सामने राष्ट्रपति के तौर पर दूसरे कार्यकाल का प्रस्ताव रखा और वह तैयार भी थे, लेकिन कांग्रेस एवं उसकी सहयोगी पार्टियों को यह विचार पसंद नहीं आया. संख्याबल की कमी से वाकिफ कलाम चुनाव में खड़े नहीं हुए.’’ 

उन्होंने यह भी लिखा है कि समाजवादी पार्टी के तत्कालीन सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने 2002 में के. आर. नारायणन की जगह लेने के लिए कलाम के नाम का प्रस्ताव रखा था. पूर्व प्रधानमंत्रियों एच डी देवगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल की सरकारों में रक्षा मंत्री रह चुके मुलायम अपने मातहत डीआरडीओ के प्रमुख के तौर पर काम कर चुके कलाम से भलीभांति परिचित थे.

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*