नईदिल्ली: देशभर में कई पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों से की जाने वाली धोखाधड़ी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. शीर्ष अदालत ने खुद केंद्र सरकार और पेट्रोलियम मंत्रालय को आदेश दिया है कि वह देशभर में पेट्रोल पंपों पर धोखाधड़ी को रोकने के लिए पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए कदम उठाएं. जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिए.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अमित साहनी द्वारा दायर एक जनहित याचिका दायर की गई थी. अधिवक्ता ने पीआईएल में आरोप लगाया था कि पेट्रोल पंप पल्स मीटर में “माइक्रोचिप” लगाकर तेजी से ईंधन भरने या दूसरे तरीके अपनाकर ग्राहकों को कम ईंधन का वितरण कर धोखा देते हैं.
याचिका में यह भी कहा गया है कि कुछ जगहों पर ग्राहकों के व्यवहार को देखते हुए ईंधन के माप को बढ़ाने या घटाने के लिए रिमोट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
इसके अलावा साहनी ने जनहित याचिका में यह भी कहा कि खबरों के अनुसार, देश भर के पेट्रोल पंपों पर धोखा इस हद तक है कि इस धोखाधड़ी को देखते हुए पेट्रोलियम मंत्री ने खुद राज्य सरकारों को पेट्रोल पंपों पर औचक निरीक्षण करने और चिप्स की जांच करने की सलाह दी थी.
ऐसी धोखाधड़ी को रोकने के लिए याचिका में सलाह में दी गई कि पेट्रोल पंपों पर ईंधन वेंडिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले काली होज़ पाइपों के बदले को पारदर्शी पाइपों का इस्तेमाल किया जाए, ताकि उपभोक्ता अपने वाहनों में डाले जाने वाले ईंधन को साफ देख सकें.
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि माप के साथ पारदर्शी डिस्पेंसर भी पेट्रोल पंपों पर फ्यूल वेंडिंग मशीन से जोड़ा जाए जिससे ईंधन पहले पारदर्शी डिस्पेंसर में भरा जाए है और फिर पारदर्शी नली के माध्यम से वाहन में भरा जाए.
Bureau Report
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