उत्तर प्रदेश के इस गांव की महिलाओं को लगा ऐसा ‘शाप’, आधे से अधिक हो गईं विधवा

उत्तर प्रदेश के इस गांव की महिलाओं को लगा ऐसा 'शाप', आधे से अधिक हो गईं विधवामैनपुरीः उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के पुसैना गांव में जैसे ही कोई जाता है, यहां की महिलाओं और बच्चों को देखकर दर्द की एक हूक सी उठने लगती है. बिना सिंदूर और श्रृंगार की महिलाएं और भूख से बिलखते बच्चों को देखकर दिल सिहर उठता है. पुसैना गांव कि 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं अपने पतियों को खो चुकी हैं, आलम यह है कि अब इस गांव की पहचान ही विधवा महिलाएं बन चुकी हैं. गांव में लगभग 300 परिवार हैं, जहां 4,000 से अधिक लोग रहते हैं, लेकिन इन 300 परिवारों में से करीब 160 परिवारों की महिलाएं विधवा हैं. कच्ची शराब ने उनसे उनका पति और बच्चों से उनका पिता छीन लिया है.

गांव में अवैध शराब निर्माण के चलते अधिकतर ग्रामीण युवा रोजाना कच्ची शराब का सेवन करते हैं, जिसके चलते गांव में अभी भी मौतों का दौर जारी है. शराब के चलते गांव के आधे से ज्यादा परिवारों में 26 से 65 साल की उम्र की महिलाएं विधवा का जीवन जी रही हैं. गांव में पुरुषों की मौत का दौर करीब 14 सालों से जारी है. ऐसे में घर की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं विधवा महिलाओं के सिर पर आ जाती है, जिसे पूरा करना इनके लिए काफी मुश्किल होता है. वहीं गांव में अवैध शराब का काला धंधा चला रहे माफियाओं का खौफ है कि इन्हें जुबान बंद रखने पर मजबूर कर देता है. गांव में कोई बाहर का व्यक्ति जब इनसे कुछ पूछने की कोशिश करता  है तो वह डर-सहम जाती हैं और कुछ भी कहने से मना कर देती हैं.

कच्ची शराब का दंश झेल रही महिलाओं का कहना है कि अगर वह इस बारे में किसी बाहरी व्यक्ति से बात करेंगी तो उन्हें इसके दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं. गांव के कुछ लोगों का कहना है कि करीब 14 से 15 साल पहले गांव में कच्ची शराब का अवैध निर्माण शुरू हुआ था, जिन्हें पुलिस की छापेमार टीम ने कई बार हटाया भी, लेकिन माफिया हर बार यह काम फिर शुरू कर देते हैं. गांव की एक महिला ने बताया कि कुछ साल पहले ही शराब ने उनसे उनका इकलौता बेटा, बहु से उसका पति और चार बेटियों से उनका बाप छीन लिया. अब घर की पूरी जिम्मेदारी बहू के कंधों पर है, ऐसे में कई बार घर में खाने के लिए अनाज तक नहीं होता, लेकिन जैसे-तैसे गुजारा हो रहा है.

गांव की एक विधवा महिला ने बताया कि उसने कुछ साल पहले ही कच्ची शराब के चलते अपने पति और चार बच्चों को खो दिया था. जिसके बाद से ही वह अकेले ही जीवन यापन कर रही है. अब उसका साथ देने के लिेए इस दुनिया में न तो उसका पति है और न ही बेटे. एक अन्य विधवा जिनकी 12-19 वर्ष के बीच चार बेटियां हैं ने बताया कि उनके पति ने एक कृषि मजदूर के रूप में काम किया था, कुछ सालों में उन्हें शराब की लत लग गई और उसी अभिशाप ने उन्हें परिवार से छीन लिया. उसने कहा, “शराब ने मेरे परिवार को तबाह कर दिया है. अब मैं जैसे-तैसे जी रही हूं. मेरी बेटियां बहुत छोटी हैं. मैं उन्हें काम के लिए बाहर भी नहीं भेज सकती.”

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*