नईदिल्लीः केरल के कोच्चि की एक यूनिवर्सिटी ने उत्तर भारतीय छात्रों को कैंपस में सरस्वती पूजा की अनुमति नहीं दी है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि हमारा कैंपस धर्मनिरपेक्ष है और हम अपने परिसर में ऐसी किसी भी धार्मिक गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जा सकती है. मामला कोच्चि यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेकनॉलिजी के अंतर्गत आने वाले कोच्चि यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग के कुट्टनड़ कैंपस का है. यहां कुछ उत्तर भारतीय छात्रों ने वसंत पंचमी के अवसर पर सरस्वती पूजा करने के लिए वाइस चांसलर से परमिशन मांगी थी. छात्रों ने वीसी को 25 जनवरी को पत्र लिखकर इस आयोजन के लिए अनुमति मांगी थी.
इस पत्र के जवाब में यूनिवर्सिटी के ज्वाइंट रजिस्ट्रार (अकादमिक) ने छात्रों को जवाब लिखा है उसमें वाइस चांसलर का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘सूचित किया जाता है कि उत्तर भारतीय छात्रों द्वारा सरस्वती पूजा करने के अनुरोध को वाइस चांसलर ने अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि हमारा कैंपस धर्मनिरपेक्ष है, इसलिए हम कैंपस में ऐसी किसी भी कार्य और गतिविधि की इजाजत नहीं देते जो किसी धर्म विशेष का हो. ‘
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल माघ महीने में शुक्ल की पंचमी को विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की उपासना होती है. इस पर्व को आम भाषा में वसंत पंचमी कहा जाता है. यह दिन साल के कुछ खास दिनों मे से एक माना जाता है, इसलिए कुछ लोग इसे “अबूझ मुहूर्त” भी कहते हैं.
पौराणिक मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में विद्या और बुद्धि का योग नहीं होता है वह लोग वसंत पंचमी को मां सरस्वती को पूजा करके उस योग को ठीक कर सकते हैं. इसी साल पूरे भारत में वसंत पंचमी 10 फरवरी को मनाई जाएगी.
क्या है वसंत का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार वसंत का उत्सव प्रकृति का उत्सव है. यौवन हमारे जीवन का बसंत है तो वसंत इस सृष्टि का यौवन है. भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में ‘ऋतूनां कुसुमाकरः’ कहकर ऋतुराज बसंत को अपनी विभूति माना है. शास्त्रों एवं पुराणों कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है.
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