नईदिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने शुक्रवार को भारत की पहली इंजनरहित ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई. पुलवामा आतंकी हमले पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कार्यक्रम में कहा कि इस समय लोगों को खून खौल रहा है. जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए सुरक्षा बलों को पूरी आजादी दी गई. हमें अपने सैनिकों के शौर्य पर पूरा भरोसा है. आतंकवाद अब ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता.
उन्होंने कहा कि देश में कुछ कर गुजरने की भावना है. मैं देश को भरोसा देता हूं कि हमले के गुनहगारों को उनके किए की सजा अवश्य मिलेगी. शहीदों के परिवारों के साथ पूरे भारत की संवेदनाएं हैं. आतंकियों और उनके सरपरस्तों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. आतंक के खिलाफ हमारी लड़ाई तेज होगी. हम मुंहतोड़ जवाब देंगे.
गुरुवार को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद इस कार्यक्रम में कोई भी सजावट नहीं की गई. बेहद सादे समारोह में पीएम मोदी ट्रेन को सिर्फ हरी झंडी दिखाई. कार्यक्रम में पुलवामा हमले में शहीद हुए 44 सीआरपीएफ जवानों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि भी दी गई. पुलवामा हमले के बाद इस कार्यक्रम में बदलाव किए गए हैं.
हाल ही में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्रेन 18 को वंदे भारत एक्सप्रेस नाम दिया था. उसे चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार किया गया है. यह दिल्ली राजधानी मार्ग के एक खंड पर परीक्षण के दौरान 180 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक की रफ्तार हासिल कर भारत की सबसे तीव्र ट्रेन बन गई.
अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री 15 फरवरी की सुबह दस बजे इस ट्रेन को रवाना करेंगे और एक कार्यक्रम भी होगा जहां वह भाषण देंगे. यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है क्योंकि यह रेलवे की पहली स्वदेशी ट्रेन है.’’ 16 डिब्बे वाली यह ट्रेन 30 साल पुरानी शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेगी तथा दिल्ली एवं वाराणसी के बीच चलेगी.
ये हैं खासियतें :
1. देश की पहली बिना इंजन वाली 16 कोच की वंदे भारत एक्सप्रेस को भारतीय इंजीनियरों ने 18 महीने के रिकॉर्ड समय में बनाया है.
2. इस ट्रेन पर 97 करोड़ की लागत आई है और इसे इंटिगरल कोच फैक्टरी चेन्नई ने बनाया है.
3. वंदे भारत 30 वर्ष पुरानी शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेगी जिसमें कुल 16 कोच जो चेयरकार हैं, 16 में से 12 कोच नॉर्मल चेयरकार हैं. हर बोगी में 78 सीटें हैं.
4. इसमें 2 कोच एक्जिक्यूटिव टाइप हैं, जिनमें 25 सीटें हैं. दो कोच ड्राइविंग कोच हैं जो नॉर्मल चेयर कार टाइप के हैं.
5. ट्रेन में ऑटोमैटिक दरवाजे हैं, जहां स्लाइडिंग सीढ़ियां हैं. इससे उतरने में आसानी होगी. इतना ही नहीं ट्रेन को कंट्रोल और रिमोट मॉनिटर के लिए कंप्यूटर भी लगे हैं.
6. एक कोच से दूसरे कोच में जाने के लिए गैंगवे पूरी तरह सील है. इससे यात्रियों को परेशानी नहीं होगी और पूरी ट्रेन के साथ ही ड्राइवर का केबिन भी वातानुकूलित है.
Bureau Report
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