नईदिल्ली: ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने फरार शराब कारोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. माल्या 2016 से भारत से फरार है. करीब दो महीने पहले वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी. ब्रिटेन गृह मंत्रालय की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि सभी मामलों पर गंभीरता से विचार करने के बाद 3 फरवरी को आदेश पर दस्तखत किए गए. ब्रिटेन गृह मंत्रालय के आदेश के बाद विजय माल्या ने ट्विट कर अपनी बात रखी. माल्या ने कहा कि 10 दिसंबर को जब निचली अदालत ने अपना फैसला सुनाया था, तब मैंने कहा था कि मैं इस फैसले को चुनौती दूंगा. मैं अब तक गृह मंत्रालय के फैसले का इंतजार कर रहा था. अब जब फैसला आ गया है तो मैं आगे अपील की कार्रवाई करूंगा.
यहां, सबसे बड़ा सवाल है कि ब्रिटेन गृह मंत्रालय से आदेश मिलने के बाद विजय माल्या को भारत लाना कितना आसान या कठिन है ? और इस पूरी प्रक्रिया में कितना समय लगेगा. लीगल एक्सपर्ट के मुताबिक, माल्या के पास अब 14 दिनों का वक्त है कि वह इस आदेश को चुनौती दे. विजय माल्या पहले इस आदेश खिलाफ हाईकोर्ट जा सकते हैं. हाईकोर्ट में अपील खारिज होने के बाद वे सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं.
लीगल एक्सपर्ट का कहना है कि हाईकोर्ट में अगर याचिका मंजूर कर ली जाती है तो कम से कम 6 महीने का वक्त वहां लगेगा. अगर वे वहां भी हार जाते हैं तो वे सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में भी कम से कम 1 साल का वक्त जरूर लगेगा. समय सीमा को लेकर लीगल एक्सपर्ट का कहना है कि अभियोजन पक्ष के लिए यह मुश्किल काम होगा कि वह कोर्ट से कहे कि मामले की सुनवाई जल्द से जल्द की जाए.
कानून के जानकारों का यह भी मानना है कि ऊपरी अदालत से माल्या को राहत मिल जाए और निचली अदालत के फैसले को पलट दिया जाए. हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि माल्या किस आधार पर अपील दाखिल करते हैं और उनकी अपील में कितना दम होता है. जैसा कि भारत सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि वह माल्या को वापस अपने देश लाए, ऐसे में भी कम से कम 1 साल वक्त जरूर लगेगा.
ब्रिटेन गृह मंत्रालय के पास आदेश जारी करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं था. इसलिए, अभी उसे भारत वापस लाने का सफर बहुत लंबा है. हाईकोर्ट की बात करें तो, वह सुनवाई नहीं करेगी बल्कि यह देखेगी कि निचली अदालत का फैसला गलत था या सही था. कानून के मुताबिक, माल्या को ब्रिटेन में रहने के लिए वैध पासपोर्ट की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि, जब भारत सरकार ने कहा था कि उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है तब ब्रिटेन की तरफ से कहा गया कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं, इसलिए उनके प्रत्यर्पण पर विचार किया जा रहा है.
Bureau Report
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