नईदिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समीक्षा में (MPC) ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कमी की गई है. इसका फायदा होम लोन और करा लोन की ईएमआई देने वाले करोड़ों उपभोक्ताओं को मिलेगा. आपको बता दें कि आरबीआई का रेपो रेट अभी 6.50 प्रतिशत है, जो घटकर 6.25 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है. पिछले तीन मॉनिटरी पॉलिसी में आरबीआई ने नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखा था. इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 1 अगस्त 2018 को रेपो रेट 0.25 फीसदी बढाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया था.
इस कटौती के बाद रिवर्स रेपो रेट 0.25 प्रतिशत घटकर 6.25 प्रतिशत से 6 प्रतिशत हो गया. कच्चे तेल की कीमत में स्थिरता और डॉलर के मुकाबले रुपये में स्थिरता के कारण महंगाई दर में कमी आने के कारण मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों को घटाए जाने की उम्मीद थी.
इकोरैप को ब्याज दर बढ़ने की थी उम्मीद
एसबीआई ने अपनी शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा था कि रिजर्व बैंक को रुपये की गिरावट थामने के लिए ब्याज दर में कम से कम 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करनी चाहिए. वहीं, मॉर्गन स्टेनली ने भी कहा था कि उसे अक्टूबर की समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक द्वारा अल्पावधि ब्याज दर बढ़ाने की उम्मीद है. हालांकि, नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. दरअसल जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई से पैसे लेते हैं. आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है. इसे भारतीय रिजर्व बैंक हर तिमाही के आधार पर तय करता है. फिलहाल चार साल बाद यह बढ़ाया गया है.
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