नईदिल्ली: बॉलीवुड में केदार शर्मा का नाम ऐसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने राज कपूर, भारत भूषण मधुबाला, माला सिन्हा और तनुजा को फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेता से स्टार्स वाली हैसियत दिलाने में मेहनत की. कहते हैं इस कड़क और तेजतर्रार डायरेक्टर की चवन्नी के लिए बड़े बड़े लोग तरसते थे. आज ही के दिन 1999 में केदार नाथ शर्मा उर्फ केदार शर्मा ने अंतिम सांस ली थी.
इनका पूरा नाम केदार नाथ शर्मा था, इनका सिनेमा से रिश्ता जुड़ने की कहानी भी काफी मजेदार है. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि 1933 में उन्हें इत्तेफाक से देवकी बोस की निर्देशित फिल्म पुराण भगत देखने का मौका मिला, जिसके बाद वह सिनेमा की रूपहली दुनिया में खो गए. इस समय के बाद से वह हर समय फिल्मों में काम करने के सपने देखने लगे थे. अपने सपने को पूरा करने के लिए वे कोलकाता चले गए, क्योंकि उस समय फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा केंद्र कोलकाता में हुआ करता था.
राज कपूर बने थे क्लैप बॉय
शो मैन कहे जाने वाले फिल्ममेकर राजकपूर को बॉलीवुड में लाने वाले केदार शर्मा ही थे. साल 1947 में फिल्म ‘नीलकमल’ के साथ केदार ने राजकपूर को सिनेमा में एंट्री दी. इससे पहले राजकपूर उनकी यूनिट में क्लैप ब्वाय का काम करते थे. इसी तरह 1950 में उन्होंने ‘बावरे नैन’ नाम की फिल्म में गीता बाली को पहली बार अभिनय का मौका दिया.
केदार शर्मा के बारे में यह बात मशहूर है कि जिस कलाकार के काम से वह खुश होते उसे पीतल की दुअन्नी और चवन्नी देकर हौसला बढ़ाया करती थी. राजकपूर, दिलीप कुमार, गीताबाली और नरगिस को यह सिक्के नसीब हुए थे. केदार शर्मा को ‘इंकलाब’, ‘पुजारिन’, ‘विद्यापति’ और ‘बड़ी दीदी’ जैसी मशहूर फिल्में बॉलीवुड को दी हैं. केदार शर्मा ने बच्चों के लिए भी कई फिल्में बनाई हैं जैसे ‘जयदीप’, ‘गंगा की लहरें’, ‘गुलाब का फूल’ जैसी फिल्में हैं. लगभग पांच दशक तक अपनी फिल्मों के जरिए दर्शकों के दिल पर राज करने वाले फिल्मकार केदार शर्मा ने 29 अप्रैल 1999 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
Bureau Report
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