नईदिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) प्रचार में उम्मीदवारों द्वारा जाति / धर्म के नाम पर वोट मांगने का मामले में आज चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘लगता है चुनाव आयोग को उसका अधिकार वापस मिल गया है.’ इसके बाद कोर्ट ने कहा – आज हम कोई आदेश नहीं पारित कर रहे हैं.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बीएसपी सुप्रीमों मायावती पर चुनाव आयोग द्वारा लगाया गया 48 घंटे का बैन हटाने से इंकार कर दिया है. वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा की चुनाव आयोग ने बिना मायावती को अपना पक्ष रखने का मौका दिए एकतरफा कार्रवाई करते हुए उनके चुनाव प्रचार पर 48 घंटे की रोक लगा दी है. इस आदेश को रद्द किया जाना चाहिए. इस पर सीजेआई ने कहा हमे नहीं लगता कि इसमे कोई आदेश दिया जाना चाहिए. यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मायावती की मांग खारिज की.
आपको बता दें कि सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि धार्मिक आधार पर वोटिंग का बयान देने वाली मायावती ने नोटिस का जवाब नहीं दिया, आपने क्या किया? चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा था कि हमारी शक्तियां सीमित है.कोर्ट ने चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था.दरअसल, जाति और धर्म को लेकर राजनेताओं और पार्टी प्रवक्ताओं के आपत्तिजनक बयानों पर राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट चुनाव प्रचार के दौरान जाति और धर्म को आधार बना कर घृणा फैलाने वाली टिप्पणियों से निपटने संबंधी चुनाव आयोग की शक्तियों पर गौर करने को तैयार है. लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमोे मायावती और अन्य नेताओं के आचार संहिता के खिलाफ दिए गए बयानों को लेकर नाराजगी जताई थी और आयोग के पास सीमित अधिकार होने के प्रति असंतुष्टि जताई थी.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जाति और धर्म को लेकर नेता विवादित भाषण देते आ रहे हैं.उनके भाषणों में अली और बजरंग बली का नाम लेकर भी विवादित टिप्पणियां सुनी जा रही थी. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद ही चुनाव आयोग ने 4 बड़े नेताओं पर बड़ी कार्रवाई की है. चुनाव आयोग ने आजम खान, मेनका गांधी, मायावती और योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी है. आयोग ने योगी और आजम खान पर 72 घंटे जबकि मेनका गांधी और मायावती पर 48 घंटे के लिए रोक लगाई है.
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