5 महीने की बच्ची का हुआ लिवर ट्रांसप्लांट, रचा इतिहास

नईदिल्ली: जिंदगी और मौत के बीच झूझती 5 महीने की मासूम अरियाना के मां-बाप को जब उसकी बीमारी का पता चला तो उसे लेकर कोलकाता के हर बड़े अस्पताल घूमे. लेकिन सभी ने बच्ची की नाजुक उम्र देखते हुए बचने की बहुत कम गुंजाइश बताई. बच्ची की बिगड़ती हालात देख कर मां-बाप फौरन उसे दिल्ली के मैक्स अस्पताल लेकर आए. अस्पताल पहुंचने तक बच्ची की हालत ज़्यादा बिगड़ चुकी थी उसके होठों से खून आ रहा था. इसलिए बिना देर करे मैक्स अस्पताल साकेत के डॉक्टर सुभाष गुप्ता ने बच्ची के लीवर ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू कर दी. मैक्स अस्पताल के पित्त विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर डॉ सुभाष ने बताया कि आरियाना के मामले में तुरंत ट्रांसप्लांट करना ही एकमात्र विकल्प था क्योंकि उसके लीवर ने बिल्कुल काम करना बंद कर दिया था.

आमतौर पर 1 साल से कम उम्र की बच्चे का ट्रांसप्लांट करना बहुत कठिन है. 30 साल के इंसान के लिवर को एक बच्चे में फिट करना अपने आप मे एक चुनौती है. उन्होंने ये भी कहा कि मैंने पिछले30 सालों में ऐसा केस कभी नही देखा. ये भारत मे पहली बार है जब 5 महीने की बच्ची का एक्यूट लिवर फेल्यर होने की वजह से लिवर ट्रांसप्लांट करा गया. इस सर्जरी में 10 घंटे लगे जबकि इसकी तैयारी 18 घंटे से चल रही थी.

इस से पहले कई बार छोटे बच्चों में लीवर ट्रांसप्लांट किया जा चुका है लेकिन ये मामला अपने आप मे अनोखा है. आम तौर पर जब भी 1 साल से कम उम्र के बच्चों में लीवर से संबंधित जो परेशानियां पैदा होते ही पता चल जाती हैं और उनका इलाज करने के लिए डॉक्टर के पास काफी समय होता है लेकिन अरियाना का केस अलग था. ये एकदम स्वस्थ थी और अचानक से एक दिन उसे जांडिस के साथ साथ उल्टयां होनी शुरू हो गईं.

जांच करने पर सामने आया कि उसके लीवर ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया हौ और ट्रांसप्लांट के अलावा इसका कोई और विकल्प नही था. मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के पीडियाट्रिक हेप्टोलॉजी के  डॉक्टर शरत वर्मा के मुताबिक पहले बच्ची को पिता का लीवर लगाया जाना था लेकिन लीवर बड़ा होने के वजह से फिर माँ का लीवर लगाय गया. कोलकाता के अस्पताल में शुरुआती टेस्ट कर लिए गए थे.

जब बच्ची को दिल्ली लाया जा रहा था तब तक लगातार कोलकाता के डॉक्टरों से संपर्क किया गया और जैसे ही बच्ची दिल्ली एयरपोर्ट पहुँची वहाँ पहले से ही एम्बुलेंस तैयार थी जिसमे डॉक्टर मौजूद था. छोटे बच्चों में लीवर फेल्यर का कारण इन्फेक्शन हो सकता है जिसमे शुरुआती लक्षण जॉन्डिस होता है. आरियाना को अंग दान करने वाली उनकी माँ श्यानतानी डे ने बताया कि आरियाना जन्म के समय बिल्कुल स्वस्थ थी.

एक बार जांडिस हुआ था और उस से पूरी तरह रिकवर कर चुकी थी. अचानक से एक दिन उसको तेज़ बुखार हुआ और आंखे पीली पड़ने लगी. डायपर बदलते वक्त हमने देखा कि उसका पेशाब नारंगी से रंग का था. हमने उसको कोलकाता के एक बड़े अस्पताल में भर्ती करवाया. वहाँ के डॉक्टरों ने कह दिया कि आपकी बच्ची सिर्फ5 दिन की मेहमान है लेकिन फिर भी अगर आप कोशिश करना चाहते हैं तो बच्ची को दिल्ली मैक्स अस्तपाल के डॉ सुभाष गुप्ता के पास ले जाइए.

डॉ सुभाष ने मेरी बच्ची को जीवन दान दिया है.उसको एक नई जिंदगी मिली है. वो मेरे लिए भगवान हैं. बच्ची को खिलाते हुए भावुक होते पिता अर्जित डे बस ये ही कह रहे थे कि डॉ सुभाष गुप्ता हैं तो मेरी बच्ची आज मेरी गोद मे है.वो न होते तो मेरी बच्ची भी नही होती.और वो चाहते हैं कि अरियान बड़ी होकर सर्जन बने. 

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*