नईदिल्ली: संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के दौरान राहुल गांधी की नजरें मोबाइल पर होने को लेकर सियासत होनी ही थी और हुई भी. बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्रियों गिरिराज सिंह और बाबुल सुप्रियो ने कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधा. लेकिन इसके जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने जिस तरह का तर्क दिया, वह अपने आप में ‘विचित्र’ है.
आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘कुछ हिंदी के जटिल शब्द थे जोकि उन्होंने स्पष्ट रूप से नहीं सुना था और उसी के संदर्भ में पूछ रहे थे. उन्हीं कठिन शब्दों का अनुवाद करने की कोशिश कर रहे थे.” यह तर्क विचित्र इसलिए है क्योंकि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बार अपने भाषण में यथासंभव सरकारी हिंदी शब्दों से बचने की कोशिश की. उन्होंने आम बोलचाल की भाषा में शब्दों का ही इस्तेमाल किया.
इसकी बानगी इस रूप में समझी जा सकती है कि उन्होंने ‘आधारभूत क्षेत्र’, ‘जलवायु परिवर्तन’, ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ जैसे जटिल सरकारी हिंदी शब्दों के स्थान पर आम बोलचाल में चलने वाले अंग्रेजी के शब्दों ‘इंफ्रास्ट्रक्चर’, ‘क्लाइमेट चेंज’, ‘डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर’, ‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’, ‘नेशनल हाईवे’, ‘वन नेशन वन कार्ड’ और ‘जीरो टालरेंस’ जैसे अंग्रेजी शब्दों का कई बार उपयोग किया.
दरअसल इस मामले में संसदीय परंपरा ये है कि राष्ट्रपति संसद के संयुक्त सत्र में अपना अभिभाषण हिंदी या अंग्रेजी में पढ़ते हैं. फिर उसी अभिभाषण के हिंदी या अंग्रेजी पाठ का पहला और अंतिम पैरा उपराष्ट्रपति पढ़ते हैं. इस संदर्भ में कोविंद ने अभी तक अपने सभी अभिभाषण हिंदी में ही दिये हैं. हालांकि इससे पहले अभिभाषण का जो हिंदी पाठ होता था, उसमें सरकारी जटिल हिंदी शब्दों की भरमार रहती थी. लेकिन इस बार उनसे परहेज करने की कोशिश की गई और काफी हद तक आमबोल की भाषा में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को चुना गया. फिर भी कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि राहुल गांधी कठिन हिंदी शब्दों का अनुवाद कर रहे थे. अब इसके अतिरिक्त कौन से ऐसे कठिन हिंदी के शब्द थे जिनका कांग्रेस अध्यक्ष अनुवाद कर रहे थे, ये तो वही बतला सकते हैं.
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