नईदिल्ली: खतरनाक इरादों के साथ अब एयरपोर्ट की सीमा को लांघना मुसाफिरों के लिए मुश्किल होने वाला है. दरअसल, एयरपोर्ट की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा एजेंसियां एक ऐसे सॉफ्टवेयर पर काम कर रही हैं, जो उनके पासपोर्ट में दर्ज जानकारियों के आधार पर मुसाफिरों के खतरनाक इरादों का पता लगाएगी. हाल में ही, नीदरलैंड की एक कंपनी ने ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटीज और ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन अधिकारियों को इस सॉफ्टवेयर का एक डेमो दिया है. जिसमें खतरनाक इरादों के साथ हवाई यात्रा करने वाले मुसाफिरों के बाबत आसानी से पता लगाया जा सकता है.
पूर्व यात्राओं के आधार पर होगी संदिग्ध मुसाफिरों की पहचान
एयरपोर्ट सुरक्षा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मौजूदा समय में इमीग्रेशन चेक के दौरान मुसाफिरों के पासपोर्ट और वीजा की वैद्यता की जांच की जाती है. इस जांच के दौरान, मुसाफिर द्वारा पूर्व में की गई यात्राओं की विवेचना और समीक्षा करना इमीग्रेशन अधिकारियों के लिए संभव नहीं होता है. एल्गोरिदम थ्योरी पर काम करने वाला यह सॉफ्टवेयर इमीग्रेशन अधिकारियों की इस परेशानी का हल बनकर सामने आया है. उन्होंने बताया कि यह सॉफ्टवेयर मुसाफिरों की फ्लाइट के रूट और उनके द्वारा पूर्व में की गई यात्राओं के आधार पर अपनी गणना करेगा और सुरक्षा अधिकारी को खतरे की संभवानाओं से अवगत कराएगा.
इस तरह सॉफ्टवेयर करेगा रूट्स और पूर्व यात्राओं की समीक्षा
एयरपोर्ट सुरक्षा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यदि कोई मुसाफिर सीधी फ्लाइट होने के बावजूद किसी ट्रांजिट फ्लाइट से अपनी यात्रा करता है तो सॉफ्टवेयर इस मुसाफिर से पूछताछ कर शंकाओं के समाधान की सलाह देगा. यदि कोई मुसाफिर लगातार किसी देश की यात्रा कर रहा है तो सॉफ्टवेयर तत्काल सुरक्षा अधिकारियों को बार-बार यात्रा के कारणों का पता लगाने की सलाह देगा. इसके अलावा, यदि कोई यात्री लगातार संवेदनशील देशों या आतंकवाद से प्रभावित देशों में यात्रा कर रहा है, तो इसकी जानकारी सॉफ्टवेयर की मदद से तत्काल सुरक्षा अधिकारियों को मिल जाएगी.
डाटा के लिए विभिन्न दूतावासों से संपर्क में हैं सुरक्षा एजेंसियां
सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुसाफिरों से जुड़ी जानकारियों को एकत्रित करना है. इस चुनौती का सामाधान खोजते हुए एयरपोर्ट की सुरक्षा एजेंसियों ने विभिन्न देशों में स्थिति भारतीय दूतावास से संपर्क किया है. व्यवस्था के तहत, भारतीय वीजा के आवेदन के दौरान मुसाफिर द्वारा उपलब्ध कराए गए पासपोर्ट के सभी पेज और उसमें लगे वीजा को स्कैन कर भारत में इमीग्रेशन विभाग को उपलब्ध कराया जाएगा. जिससे मुसाफिर की यात्रा से जुड़ी सभी जानकारियों को इस खास सॉफ्टवेयर में फीड किया जा सके. इसके अलावा, विभिन्न एयरलाइंस अपने यात्रियों की सूची और उससे जुड़े दस्तावेज भी सुरक्षा एजेंसियों को उपलब्ध कराएंगी.
यूरोप के 44 देशों में हो रहा है इस खास सॉफ्टवेयर का प्रयोग
एयरपोर्ट की सुरक्षा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मुसाफिरों की प्रोफाइलिंग करने वाले इस विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल यूरोप के 44 देशों में किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि चूंकि यूरोप के अंतर्गत आने वाले विभिन्न देशों की यात्रा के लिए एक ही वीजा जारी होता है, ऐसे में वहां पर मुसाफिरों की जानकारी एकत्रित करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए आसान है. इस सॉफ्टवेयर को भारतीय सुरक्षा के अनुरूप विकसित किया जा रहा है. जिसे जल्द ही भारतीय एयरपोर्ट पर लागू कर दिया जाएगा.
Bureau Report
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