अल्‍पसंख्‍यक की परिभाषा क्‍या है? राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक आयोग SC में दाखिल करेगा जवाब

अल्‍पसंख्‍यक की परिभाषा क्‍या है? राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक आयोग SC में दाखिल करेगा जवाबनईदिल्‍ली: बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को निर्देश दिया था कि वो 90 दिनों के भीतर बताएं कि अल्पसंख्यककी परिभाषा क्या हैं. फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया था यानी 90 दिनों से ज्यादा का समय बीत चुका है. ऐसे में अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने जा रहा है. जवाब की एक कॉपी बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय को भी दी जाएगी. अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करने के मामले में जवाब दाखिल करने से पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में एक अहम मीटिंग भी हुई. इसमें कई कानूनी और संवैधानिक पहलुओं पर गौर किया गया.

अश्वनी उपाध्याय ने याचिका में मांग की थी कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की धारा 2(सी) को रद्द किया जाए, क्योंकि यह धारा मनमानी, अतार्किक और अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करती है. इस धारा में केंद्र सरकार को किसी भी समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित करने के असीमित और मनमाने अधिकार दिये गये हैं.

याचिका में यह भी कहा गया है कि हिंदू जो राष्ट्रव्यापी आकंड़ों के अनुसार एक बहुसंख्यक समुदाय है. वह पूर्वोत्तर के कई राज्यों और जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक है. याचिका में कहा गया कि हिंदू समुदाय उन लाभों से वंचित है, जो इन राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए मौजूद हैं. अल्पसंख्यक पैनल को इस संदर्भ में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द की परिभाषा पर पुन: विचार करना चाहिए.

हालांकि, अश्वनी उपाध्याय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से अभी भी ज्यादा उम्मीद नहीं है. उनका कहना है कि आयोग नहीं चाहता कि 8 राज्यों (लक्षदीप, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय, कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, पंजाब) में हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जे का लाभ मिले, इसीलिए वह ‘अल्पसंख्यक की परिभाषा’ और ‘राज्य स्तर पर पहचान करने का नियम’ नहीं बनाना चाहता. ऐसे में उन्हें आशंका है कि आयोग का सुप्रीम कोर्ट में जवाब बहुत ज्यादा उत्साहित करने वाला नहीं होगा. ऐसे में यह जानना दिलचस्‍प होगा कि कि आखिर आयोग इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या जवाब दाखिल करता है?

Bureau Report

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