नईदिल्ली: तीन तलाक संशोधन बिल (Triple Talaq bill) गुरुवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा. हालांकि विपक्षी कांग्रेस सांसदों और यूपीए के नेताओं की बैठक में इसका विरोध करने का फैसला किया गया है. यूपीए के सभी दल ट्रीपल तलाक़ का बिल का लोकसभा में विरोध करेंगे. यूपीए में करीब 14 राजनीतिक दल शामिल हैं और लोकसभा में 100 के करीब सांसद हैं. ऐसे में सरकार के लिए लोकसभा में यूपीए के विरोध का कोई खास असर नहीं होगा.
दरअसल इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि इस पर कानून बनाने से पहले संबद्ध समुदाय से विचार करना चाहिए. इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने अपने सांसदों को सदन में विधेयक पेश करने के समय उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है. तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के विधेयक को लाने के सरकार के फैसले के बाद कांग्रेस ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि इसके लिए सबसे पहले मुस्लिम समुदाय से चर्चा करनी चाहिए.
कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, “तीन तलाक विधेयक आज लोकसभा में नाटकीय रूप से पेश किया जा सकता है. मोदी द्वारा ट्रंप को कश्मीर में मध्यस्थता के दिए गए आमंत्रण के मुद्दे से भटकाने के लिए? अगर राजग/भाजपा मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल देने के लिए लालायित हैं तो वह मुस्लिम समुदाय से चर्चा कर 1950 के दशक के हिंदू कोड बिल की तरह कानून क्यों नहीं बनाते?”
केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने विपक्ष के विरोध के बावजूद 21 जून को लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों की रक्षा) विधेयक 2019 पेश किया था. विपक्ष की मांग थी कि सभी राजनीतिक दलों को व्यापक चर्चा में शामिल करने के बाद इसे पेश किया जाना चाहिए.
विपक्ष विधेयक के वर्तमान स्वरूप के खिलाफ है. विपक्ष का तर्क है कि इसमें सिर्फ मुस्लिमों को निशाना बनाया जाएगा. यहां तक कि राजग की सहयोगी जनता दल- यूनाइटेड (जद-यू) भी इसके खिलाफ है.
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