न्यूयार्क : अमेरिकी प्रतिनिधिसभा ने भारतीय प्रौद्योगिकी पेशेवरों को स्थायी निवास प्राप्त करने में मदद करने के मकसद से एक विधेयक पारित किया है जिससे उनकी एक दशक की प्रतीक्षा जल्द समाप्त हो जाएगी. हालांकि सीनेट में इसे अनपेक्षित अचड़न का सामना करना पड़ रहा है. दोनों दलों के 311 प्रतिनिधियों द्वारा प्रायोजित विधेयक को बुधवार को स्वीकार किया गया. इससे एक साल के दौरान स्थायी निवास यानी ग्रीन कार्ड प्राप्त करने की संख्या पर लगी सीमाएं समाप्त हो जाएगी.
अगर यह कानून बन जाएगा तो इससे 3,00,000 भारतीय एच-1बी अस्थायी वर्क वीजा धारकों को मदद मिलेगी जो इस समय अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं. मौजूदा व्यवस्था के तहत किसी देश के लोगों को सालाना कुल 26,000 ग्रीन कार्ड का सात फीसदी ही मिल सकता है. यह सीमा भारत और चीन जैसे बड़े देशों के लिए जितनी है उतनी ही मालदीव और लक्जेमबर्ग जैसे छोटे देश के लिए है.
इस कोटे से भारतीय प्रौद्योगिकी पेशेवर और अन्य सुयोग्य व्यक्तियों को स्थायी निवास पाने में 10 साल तक इंतजार करना पड़ जाता है जबकि वे पहले से ही वहां अस्थायी एच-1बी वर्क वीजा पर होते हैं और उनको अपने परिवार व भविष्य की संभावनाओं को लेकर अनिश्चितताओं के दौर से गुजरना पड़ता है.
आधिकारिक रूप से इस विधेयक को फेयरनेस फॉर हाई-स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट 2019 कहा गया है जिसमें ग्रीन कार्ड की तय सीमा हटाने की मांग करते हुए पहले दो साल के दौरान भारत और चीन के लोगों को 85 फीसदी ग्रीन कार्ड प्रदान करने की बात कही गई है. इसके बाद तीसरे साल 90 फीसदी प्रदान करने की बात कही गई है जिससे लंबित मामलों को निपटाया जा सके. सदन में इसके पक्ष में डेमोक्रेट के सदस्यों के 224 वोट और रिपब्लिकन के 140 वोट पड़े.
Bureau Report
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